पालघर में बेरहमी से कत्ल कर दिए गये घटनाक्रम को वामपंथी वर्गकिसी भी रूप में मॉब लिंचिंग का नाम देने को तैयार नहीं है. कहीं न कहीं शिवसेनाप्रमुख उद्धव ठाकरे भी इस से सहमत हैं क्योकि उनकी खुद की सरकार में भगवा वस्त्रमें लिपटे साधुओं के शवों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस तक नहीं दी गई. पालघर से आरही तस्वीरों में साफ साफ़ देखा जा सकता है कि भगवा वस्त्र में लिपटे साधुओं की मृतदेह को धूल भरे डम्पर में लादा गया है और उन्हें बेहद अपमानजनक रूप में चीरघरअर्थात पोस्टमार्टम हाऊस तक ले जाया गया. उनके शरीरो के नीचे एक चादर या पोलीथिनतक नहीं रखी गई और जिस हालत में उनको हत्यारों में मारा था उस से बुरी स्थिति मेंअंततः महाराष्ट्र सरकार के बदइंतजाम ने कर डाला. फिलहाल अब इस नए मामले में विवादबढ़ता दिखाई दे रहा है और कहीं न कहीं ये उद्धव सरकार के लिए जवाब देने का विषय बन सकताहै ..
शिवसेना प्रमुखउद्धव ठाकरे द्वारा शासित महाराष्ट्र में भगवा वस्त्रधारी साधुओं की हत्या से वैसेभी संत समाज आक्रोशित और उद्धेलित था और अब उनके देहांत के बाद जिस प्रकार से उनकेशवों के साथ अपमानजनक हरकत की गई वो इस आक्रोश को और भी ज्यादा बढाने वाली है. अभीतक इस कृत्य को करने वाले किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई हैलेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ऐसा कर के उन्होंने अपनी मंशा को हिन्दू साधू संतोंके खिलाफ जगजाहिर किया है. सवाल ये भी है कि ये मंशा केवल अधिकारियो भर की ही हैया सीधे सरकार को खुश करने के लिए किये गये कृत्य हैं.