शफीकुर्रहमान बर्क जैसे नेता हिंदुस्तान को नर्क बना देने की पूरी कोशिशों मे लगे है। सारी दुनिया के वैज्ञानिक मिल कर जिस कोरोना का इलाज अभी तक नहीं ढूंढ पाए हैं, उस कोरोना का इलाज यदि बर्क जैसे मंदबुद्धि मजहबी नेता बताए तो अचरज होना स्वाभाविक है। संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने अंध इस्लाम परस्ती का नायाब नमूना पेश करते हुए कहा कि यदि मुसलमान ईद उल जुहा के मौके पर सामूहिक रुप से मस्जिदों में नमाज अदा करें तभी कोरोना जैसी बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
प्रत्येक समझदार आदमी जहां आजकल सोशल डिस्टेंसिंग की नसीहत दे रहा है, वहीं ये मज़हबी सांसद अंध इस्लामियों को सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाने के लिए उकसा रहे हैं। केंद्र की मोदी और यूपी की योगी की सरकार ने जिस तरह से इस महामारी से लड़ने के लिए मोर्चाबंदी कर रखी है, वह बर्क जैसे इस्लामी सांसदों को फूटी आंखों नहीं सुहा रही है। इस्लामी त्योहार को ऐसे लोग अपनी मज़हबी राजनीति को चमकाने के अवसर के रूप में ले रहे हैं।
बर्क जैसे नेता मानते हैं कि अगर देश और प्रदेश में कोरोना बीमारी असाध्य रूप ले ले तभी इनकी राजनीति चमकेगी। मोदी और योगी को असफल साबित करने के लिए अगर इन्हें हज़ारों हज़ार लोगों के प्राण संकट में डालने पड़े तब भी बर्क जैसे नेता उससे पीछे नहीं हटेंगे। इन्हें देश और प्रदेश में स्वर्ग जैसी शांति और सुकून से नहीं बल्कि नर्क जैसी अशांति मतलब है। यूपी और केंद्र की सरकार ऐसे मज़हबी उन्मादियों से निपटना अच्छी तरह से जानती है, इसलिए बर्क जैसे लोगों की मंशा परवान चढ़ने से रही। अच्छा हुआ कि सरकारों को उन्होंने अपनी कुत्सित मंशा से पहले ही सचेत कर दिया।