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Pitru Paksha 2021:आज नहीं कल से सुरु होगा पितृ पक्ष आज कर सकते है पूर्णिमा श्राद्ध

Pitru Paksha 2021:कई गजह पे आज से ही लोग पितृ पक्ष का सुभारम्भ मना रहे है ऐसा करना उचित नहीं है | आज पूर्णिमा की तिथि है इस दिन भगवान बिष्णु की पूजा होती है | पितृ पक्ष की शुरुआत हमेशा से ही आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से शुरू होती है | जो अमावस्या तक चलती है

Sudarshan News
  • Sep 20 2021 3:38PM

Pitru Paksha 2021: हमारे यहां शास्त्र में तीन प्रमुख ऋण बताए गए हैं- देव-ऋण,पितृ-ऋण और ऋषि (गुरु) ऋण। इनमें पित्र ऋण को सर्वोपरि माना गया है, इसीलिए पूरे वर्ष में आश्विन मास के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से समर्पित किया गया है। ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस वर्ष 21 सितंबर, मंगलावार से पितृ पक्ष प्रारम्भ हो रहा है। तृतीया तिथि की वृद्धि होने के कारण 16 दिन का पितृ पक्ष मान्य होगा।
हालांकि शास्त्रों में इस बात का वर्णन है कि पूर्णिमा तिथि पर आप नाना पक्ष के पितरों का श्राद्ध कर सकते हैं। वे लोग जो अपने नाना पक्ष का श्राद्ध करना चाहते हैं, वे आज कर सकते हैं। नाना पक्ष उनको माना जाता है, जिनके नाना पक्ष का कोई वंश बढ़ाने वाला न हो। एक बार फिर स्पष्ट कर दूं कि पितृ पक्ष का प्रारंभ आज नहीं, कल से हो रहा है।

मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध

 पितृ पक्ष में मृत्यु की तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। अगर किसी मृत व्यक्ति की तिथि ज्ञात न हो तो ऐसी स्थिति में अमावस्या तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दिन सर्वपितृ श्राद्ध योग माना जाता है।

पितृ पक्ष में श्राद्ध की तिथियां-

  पूर्णिमा श्राद्ध - 20 सितंबर 2021-  
प्रतिपदा श्राद्ध - 21 सितंबर 2021
द्वितीया श्राद्ध - 22 सितंबर 2021
तृतीया श्राद्ध - 23 सितंबर 2021
चतुर्थी श्राद्ध - 24 सितंबर 2021,
पंचमी श्राद्ध - 25 सितंबर 2021
षष्ठी श्राद्ध - 27 सितंबर 2021
सप्तमी श्राद्ध - 28 सितंबर 2021
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर 2021
नवमी श्राद्ध - 30 सितंबर 2021  
दशमी श्राद्ध - 1 अक्तूबर 2021
एकादशी श्राद्ध - 2 अक्तूबर 2021
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्तूबर 2021
त्रयोदशी श्राद्ध - 4 अक्तूबर 2021
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्तूबर 2021
अमावस्या श्राद्ध- 6 अक्तूबर 2021

इस समय करें तर्पण एवं श्राद्ध कर्म
तर्पण एवं ब्राह्मण-भोजन, श्राद्ध-कर्म का विधान मध्याह्न अर्थात् दोपहर में 11 बजे से लेकर दोपहर 02 बजकर 30 मिनट के बीच करना उत्तम कहा गया है। समस्त सुख-समृद्धि एवं वंश-वृद्धि के लिए पितृपक्ष में पितरों का स्मरण, पूजन एवं तर्पण वर्षपर्यंत शुभदायक होता है।



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