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Breaking News: कृषि बिल को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज रविवार मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है.

Abhishek Lohia
  • Sep 27 2020 8:24PM
किसानों और राजनीतिक दलों के लगातार विरोध के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज रविवार मॉनसून सत्र में संसद से पास किसानों और खेती से जुड़े बिलों पर अपनी सहमति दे दी है. किसान और राजनीतिक दल इस विधेयकों को वापस लेने की मांग कर रहे थे लेकिन उनकी अपील किसी काम न आई. राष्ट्रपति ने J-K आधिकारिक भाषा बिल 2020 पर भी अपनी सहमति दे दी है.

केंद्र की मोदी सरकार में सहयोगी रही शिरोमणि अकाली दल भी इस बिल के विरोध में लगातार मुखर रही. संसद में बिल का विरोध किया, फिर केंद्र में मत्री रहीं हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं देखने से नाराज अकाली दल ने खुद को अब एनडीए से भी अलग कर लिया. अकाली दल के अलावा कांग्रेस समेत कई अन्य दलों ने लगातार कृषि बिल का विरोध किया और राष्ट्रपति से गुजारिश भी की थी कि वो इस पर दस्तखत न करें, लेकिन उनकी अपील काम नहीं आई.

इस बीच अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से अनुरोध किया है कि किसान और खेतीहर मजदूर के हित में प्रदर्शन करें. उन्होंने कहा, 'मैं सभी राजनीतिक दलों और संगठनों से आह्वान करता हूं कि वे देश के किसानों, कृषि श्रमिकों और कृषि उपज व्यापारियों के हितों की रक्षा करें. अकाली दल अपने आदर्शों से नहीं हटेगा. किसानों के कल्याण के लिए हमने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के साथ तोड़ दिया.' 

संसद के दोनों सदनों से 3 अहम कृषि विधेयकों के विरोध में विपक्ष में शामिल राजनीतिक दलों समेत किसान संगठनों द्वारा 25 सितंबर शुक्रवार को भारत बंद बुलाया गया था, जिसका सबसे ज्यादा असर उत्तर भारत, खासतौर से पंजाब, हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में देखा गया. हालांकि, अन्य राज्यों में भी विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने जगह-जगह प्रदर्शन किया.

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) का दावा है कि भारत बंद के दौरान शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा पूरी तरह बंद रहे. दोनों राज्यों में भाकियू के अलावा कई अन्य किसान संगठनों और राजनीतिक दलों ने भी बंद का समर्थन दिया था.

पंजाब और हरियाणा में कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल से जुड़े किसान संगठनों ने विधेयकों का विरोध किया.

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