दुबई एक्सपो का रंगारंग आगाज हो चुका है और दुबई में भारत ने विश्व का सबसे बड़ा पवेलियन बनाया है, जहां भारतीय संस्कृति की छटा उकेरी गई है। भारत के पवेलियन में भारत के उभरते क्षेत्रों, मंत्रालयों की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जा रहा है, जबकि गुजरात सरकार के मॉडल भी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। भारत के पवेलियन में भारतीय संस्कृति के साथ साथ भारतीय टेक्नोलॉजी, भारतीय उद्योगों का भी मंचन किया जा रहा है।
दरअसल, दुबई एक्सपो इस बार तकनीक और परंपरा एक साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हुए दिखेंगे. भारतीय पैविलियन से बाहर निकलते हुए इस बार अयोध्या में बन रहे राम मंदिर, अबुधाबी में बनने जा रहे बीएपीएस (बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण) हिंदू मंदिर, वाराणसी के घाट और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने को मिलेगी. शुक्रवार को जब एक्सपो शुरू हुआ तो लोगों का ध्यान बीएपीएस हिन्दू मंदिर और राम मंदिर की रेप्लिका पर गया.
यह शायद पहला उदाहरण है जब राम मंदिर को विदेशों में भारतीय विरासत के हिस्से के रूप में पेश किया जा रहा है. 1 लाख वर्ग फुट में फैले तीन मंजिला पैविलियन में ताजमहल, रानी की वाव, कोणार्क के सूर्य मंदिर और वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर की रेप्लिका भी लगी हुई है. इसके साथ पहली मंजिल पर योग और पर्यावरण से भी जुड़ी चीजों की मौजूदगी है. इसके साथ ही राज्य और केंद्र सरकार के कंपनियों की भी प्रदर्शनियां लगी हुई हैं.
बिजनस से आगे संस्कृति का मंच
दुबई एक्सपो पवेलियन के निर्माण से जुड़े और CP Kukreja Architects के मैनेजिंग डायरेक्टर दीक्क्षू सी कुकरेजा ने कहा कि हमारी योजना संस्कृति को बिल्डिंग के अगले हिस्से और बिजनस को दूसरी तरफ रखने की थी। राम मंदिर को ग्राउंड फ्लोर पर इसलिए रखा गया ताकि पवेलियन से जाते समय लोग इसे याद रखें। एक्सपो 2020 दुबई में भारत का 'इंडियन पवेलियन' कोविड के बाद की दुनिया में पांच खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत के पुनरुत्थान का प्रदर्शन कर रहा है।
क्या है दुबई एक्सपो 2020 ?
दुबई ऐक्सपो को अरब दुनिया में होने वाला इस तरह का सबसे बड़ा आयोजन बताया जा रहा है. यह आयोजन कोविड-19 के कारण गम्भीर रूप से प्रभावित हुआ है जिसके कारण, आयोजकों को इसे वर्ष 2021 के लिये स्थगित करना पड़ा. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि दुबई ऐक्सपो के आयोजन से, संयुक्त अरब अमीरात की अर्थव्यवस्था की पुनर्बहाली तेज़ी से शुरू करने में मदद मिलेगी, ख़ासतौर से पर्यटन में फिर से जान फूँकने में, जोकि देश की आमदनी का एक प्रमुख क्षेत्र है. ये विश्व मेला, सैलानियों को लुभाने के लिये, रेगिस्तानी इलाक़े में, 4.3 वर्ग किलोमीटर के विशाल दायरे में लगाया जा रहा है. इसमें 200 पविलियन यानि मण्डप होंगे.