पाली...... रामपुरा कला.... गावौ मै आज भी जीवित है ढुढ की परम्परा...
रामपुरा कला.......लौक संस्कर्ति कौ कायमरख ऱहै है जिवीत है अभि भी बडै बुजुर्ग चंग की थाप पर झुमै गैरिऐ......
रायपुर मारवाड.......सालौ सै परम्परा रही हौली कै बाद अपनै घऱौ मै नन्है मुन्नै की ढुढ की परम्परा की रिति रिवाज जिन्है ननिहालौ सै मामौ कै घऱ सै ढुढ की रस्म का रिति रिवाज आज भी गावौ मै यह परम्परा चली आ ऱही है ..लौगौ कौ अपनै आगन मै घैरियौ कै माध्यम सै आगन मै नचाना औऱ ऱंग का परचलन औऱ फागण चंग की धुन पर नाचतै हुऐ ढुढ की रस्म कौ निभातै आरहै है ...पर अब इसका परचलन लौगौ कै मन सै कुछ कम नजर आ ऱहा है लौगौ का हिन्दुत्व व त्यौहारौ सै उमग कम दिख ऱहा है ..ऐसा लग रहा है धीरै धीरै ईसका परचलन पुरा ही किताबौ व बौल चाल व दन्त कथा मै ही रह जायैगा .सुदर्शऩ ऩ्युज रायपुर सै चिमनसिह राजपुरौहित की यह रिपौर्ट
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