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पंजाब सरकार का गजब कारनामा ... अनुकंपा के आधार पर 3 मिनट में दो विधायकों के बेटों को बना दिया सरकारी अफसर

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब सरकार के इस निर्णय की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि 2022 में राज्य में शिअद-बसपा गठबंधन सरकार बनते ही ऐसी सभी अवैध नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाएगा.

Abhay Pratap
  • Jun 19 2021 11:53AM

पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने एक गजब के कारनामे को अंजाम देते हुए दो विधायकों के बेटों को अफसर बनाने के प्रस्ताव को तीन मिनट में मंजूरी दे दी है. इसमें एक कांग्रेस विधायक के बेटे को सब इंस्पेक्टर तथा दूसरे विधायक के बेटे को तहसीलदार नियुक्त किया है. मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, अनुकंपा के आधार पर एक विधायक के बेटे को इंस्पेक्टर और दूसरे के बेटे को नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्त किया जाता है.

सांसद प्रताप सिंह बाजवा के भतीजे और विधायक फतेहजंग बाजवा के बेटे अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर (ग्रेड-2) और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार नियुक्त किया गया। इस प्रस्ताव को विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बावजूद मंत्रिमंडल ने सिर्फ तीन मिनट में पारित कर दिया. आधिकारिक बयान के मुताबिक, एक विशेष मामले में, मंत्रिमंडल की बैठक में अर्जुन प्रताप सिंह बाजवा को पंजाब पुलिस में निरीक्षक (ग्रुप बी) और भीष्म पांडेय को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार (ग्रुप बी) के पद पर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया.

अर्जुन, फतेहजंग सिंह बाजवा के बेटे हैं, जबकि भीष्म, राकेश पांडेय की संतान है. सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी किए गए बयान में कहा, आवेदनकर्ता अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं, जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे. मंत्रिमंडल ने एक अन्य मामले में, राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के रूप में भीष्म पांडेय की नियुक्ति को मंजूरी दी, जो जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं, जिनकी 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी.

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री तथा शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने पंजाब सरकार के इस निर्णय की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि 2022 में राज्य में शिअद-बसपा गठबंधन सरकार बनते ही ऐसी सभी अवैध नियुक्तियों को रद्द कर दिया जाएगा. अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां गरीब और मेधावी छात्र नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, कांग्रेस सरकार ने घर-घर नौकरी योजना को बदलकर केवल कांग्रेस घर नौकरी में बदल दिया है. पहले अनुकंपा के आधार पर पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते को डीएसपी नियुक्त किया गया था. अब कांग्रेसी विधायक फतेहजंग सिंह तथा राकेश पांडे को इंस्पेक्टर और नायब तहसीलदार के पद पर झूठे अनुकंपा के आधार पर नई नौकरियां पैदा कर नियुक्त किया गया है.

सुखबीर ने नियुक्तियों को अवैध बताते हुए कहा कि उनके दादाओं की कथित कुर्बानी के बदले विधायकों के बच्चों को नौकरियां नहीं दी जा सकती हैं. यह निंदनीय है कि मुख्यमंत्री ने पंजाब कांग्रेस पार्टी में चल रही तकरार में अपनी कुर्सी बचाने के उद्देश्य से ऐसा कर अधिनियम को झूठा आधार दिया है. मुख्यमंत्री को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि 1987 में पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा को गोली मारने पर केस दर्ज किया गया था. एफआईआर में कहा गया था कि सतनाम सिंह बाजवा को व्यक्तिगत मतभेद के आधार पर गोली मारी गई थी. इस मामले में कुर्बानी का तो सवाल ही पैदा नहीं होता, जिसके आधार पर बाजवा के पोते को उनके दादा की मौत के 33 साल बाद सरकारी नौकरी देकर पुरस्कृत किया जा रहा है.

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