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Netaji Subhash Chandra Bose: विदेश मंत्री एस जयशंकर बाेले- यह न्यू इंडिया का संदेश है... दुनिया के साथ डीलिंग करते समय हम खुद के प्रति सच्चे होंगे

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि यह “इतिहास का एक लंबे समय से बहुप्रतीक्षित सुधार है”. उन्होंने ट्विटर पर यह भी कहा कि यह न्यू इंडिया का संदेश है. विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने पहले ट्वीट में कहा, ‘इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की उपस्थिति इतिहास का एक लंबे समय से बहुप्रतीक्षित सुधार है.

Geeta
  • Jan 24 2022 11:34AM

पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर रविवार को राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंडिया गेट पर उनकी होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया. इस दाैरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने कहा कि यह “इतिहास का एक लंबे समय से बहुप्रतीक्षित सुधार है”. उन्होंने ट्विटर पर यह भी कहा कि यह न्यू इंडिया का संदेश है. विदेश मंत्री जयशंकर ने अपने पहले ट्वीट में कहा, ‘इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की उपस्थिति इतिहास का एक लंबे समय से बहुप्रतीक्षित सुधार है.

उन्हाेंने कहा कि साम्राज्यवाद से लड़ने वाले और उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए मजबूर करने वाले एक नेता को उचित रूप से पहचाना जा रहा है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह एक नए भारत का संदेश है. दुनिया के साथ डीलिंग करते समय हम खुद के प्रति सच्चे होंगे.’

नेता जी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण करने के बाद एक सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 2047 में देश की स्वतंत्रता के सौवें वर्ष से पहले दुनिया की कोई भी ताकत राष्ट्र को ‘नए भारत’ के निर्माण के अपने लक्ष्य को हासिल करने से नहीं रोक सकती. साथ ही साथ उन्होंने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद देश की संस्कृति और संस्कारों के साथ-साथ कई महान व्यक्तित्वों के योगदान को मिटाने का प्रयास किया गया, लेकिन आज देश उन गलतियों को ठीक कर रहा है.

पीएम ने कहा, ‘हमें नेताजी बोस के ‘‘कैन डू’’ और ‘‘विल डू’’ की भावना से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ना है. बोस ने हममें एक स्वतंत्र एवं संप्रभु भारत होने का विश्वास भरा’ और ब्रिटिश शासकों से गर्व, आत्म सम्मान तथा साहस के साथ कहा कि वह स्वतंत्रता भीख में नहीं लेंगे बल्कि इसे हासिल करेंगे. यह एक ऐतिहासिक दिन है, एक ऐतिहासिक स्थान है…यह प्रतिमा हमारे राष्ट्र के प्रति उनके योगदान के प्रति एक एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है. स्वाधीनता संग्राम में लाखों-लाख देशवासियों की तपस्या शामिल थी, लेकिन उनके इतिहास को भी सीमित करने की कोशिशें हुईं, पर आज आजादी के दशकों बाद देश उन गलतियों को डंके की चोट पर ठीक कर रहा है.’

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