2024 के लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. सत्ता पक्ष हो विपक्ष... दोनों तरफ के सियासी योद्धा लोकसभा के रणक्षेत्र में अपना कौशल दिखा रहे हैं. सियासी वार और पलटवार का खेल जारी है. एकतरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का NDA है, जिसके तहत वह अबकी बार 400 पार का नारा दे रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ INDI गठबंधन है, जो किसी भी हाल में PM मोदी को सत्ता से हटाने की बात कर रहा है. लोकसभा के इस महाकुंभ के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण के लिए वोट डाले जाएंगे तो वहीं 1 जून को सातवें और आखिरी चरण के लिए वोटिंग होगी. 4 जून को मतगणना होगी और उसी देश को नई सरकार मिलेगी.
पहले चरण में 21 राज्यों की जिन 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होगी, उसमें उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा भी है. कैराना से वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदीप कुमार चौधरी सांसद हैं. प्रदीप चौधरी ने 2019 में समाजवादी पार्टी की तबस्सुम हसन को 92160 वोटों से हराया था. बीजेपी ने एक बार फिर से अपने वर्तमान सांसद अर्थात प्रदीप चौधरी पर ही दांव खेला है. इसके साथ ही समाजवादी पार्टी ने इकरा हसन को प्रत्याशी बनाया है. लेकिन कैराना का सियासी रणक्षेत्र उस समय दिलचस्प हो गया, जब बसपा ने यहां से कद्दावर नेता श्रीपाल राणा को प्रत्याशी बना दिया.
अब कैराना के सांसद प्रदीप चौधरी त्रिकोणीय लड़ाई में फंस गए हैं. वर्तमान में कैराना के सियासी समीकरण को देखें तो प्रदीप चौधरी की सीट फंसती हुई नजर आ रही है. कैराना संसदीय सीट पर 40 प्रतिशत से ज्यादा मुसलमान हैं, इसके साथ ही लगभग 16-17 फीसदी मतदाता SC वर्ग से हैं. बसपा प्रत्याशी श्रीपाल राणा खुद ठाकुर वर्ग से हैं. यही वो समीकरण हैं, जिसके जाल में प्रदीप चौधरी फंसते हुए नजर आ रहे हैं. जब से श्रीपाल राणा को बसपा ने प्रत्याशी बनाया है, कैराना लोकसभा का सियासी समीकरण ही उलट-पुलट हो गया है और बसपा के स्थानीय काडर में भी ऊर्जा का संचार हुआ है.
सुदर्शन न्यूज ने ग्राउंड जीरो से भी कैराना लोकसभा के लोकसभा के सियासी रुख को जानने की कोशिश की है. इस दौरान सुदर्शन न्यूज को जो आंकड़े मिले हैं, वो वर्तमान सांसद प्रदीप प्रदीप चौधरी के पक्ष में नहीं है. इस लोकसभा की जनता PM मोदी से तो खुश है लेकिन सांसद प्रदीप चौधरी को लेकर सकारात्मक नहीं है. हमें बड़ी संख्या में ऐसे लोग मिले, जिनका कहना था कि मोदी जी को PM तो बनाना चाहते हैं लेकिन हमारे सांसद प्रदीप चौधरी का विकास कार्यों पर ध्यान नहीं रहा है. न सिर्फ शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में लोग सांसद प्रदीप चौधरी से नाराज नजर आए हैं. कुछ लोगों का तो ये भी कहना रहा है कि मोदी जी का प्रधानमंत्री बनना तय है, एक सीट से फर्क नहीं पड़ेगा. जब हमने उनसे विकल्प पूछा तो उनका रुझान श्रीपाल राणा की तरफ दिखाई दिया. दूसरे शब्दों में कहें तो सांसद प्रदीप चौधरी से बीजेपी का जो वोटर नाराज है, वो BSP की तरफ मुड़ता हुआ नजर आ रहा है.
इससे बसपा जीते या न जीते लेकिन प्रदीप चौधरी की मुश्किलें जरूर बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. लोगों की प्रदीप चौधरी से सबसे बड़ी शिकायत ये है कि वह आम लोगों से सीधे मिलते नहीं है, क्षेत्र की समस्याओं को जानने की कोशिश नहीं करते हैं. कई लोग ऐसे भी मिले जिनका कहना है कि उन्होंने अपने सांसद को देखा तक नहीं है. प्रदीप चौधरी को तो मोदी की गारंटी पर भरोसा है लेकिन लोकतंत्र में होता वाही है, जो जनता चाहती है और कैराना की जनता के रुझान बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप चौधरी के लिए सकारात्मक तो नहीं कहे जा सकते हैं. पहले चरण के लिए नामांकन पूर्ण हो चुके हैं. प्रदीप चौधरी भी अपना नामांकन कर चुके हैं. अब बारी कैराना की जनता की है जो 19 अप्रैल को मतदान करेगी, जिसका परिणाम 4 जून को आएगा.