तीनों लोकों से न्यारी काशी की धरा पर मां गंगा को साक्षी मानकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 700 करोड़ की लागत से 33 महीने में तैयार हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम विश्व को समर्पित करेंगे।बाबा विश्वनाथ के प्रांगड़ के नए एवं भव्य स्वरूप को देखकर न सिर्फ काशीवासी, बल्कि सारे देशवासी प्रसन्न है। काशी की उन पुरानी तंग गलियों के बीच से हो के बाबा के दरबार तक पहुंचने वाले भक्तो के लिए ये नया स्वरुप किसी चमत्कार से कम नहीं है।
दो दिवसीय प्रवास पर अपने संसदीय क्षेत्र पहुंच रहे पीएम काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव से अनुमति लेकर पतित पावनी गंगा का दर्शन व स्मरण करते हुए काशी विश्वनाथ धाम पहुंचेंगे। काशी विश्वनाथ के अलौकिक परिसर के स्वागत में पूरी काशी शिव दीपावली की तैयारी में है। प्रधानमंत्री ने अपने पुराने किसी वक्तव्य में कहा था कि मै माँ गंगा का बेटा हूँ, आज उन्ही माँ गंगा के धाम को अलौकिक बनाने में पीएम मोदी सफल हुए है।
23 इमारतों का होगा उद्घाटन
PMO के मुताबिक प्रोजेक्ट के पहले चरण में 23 इमारतों का उद्घाटन किया जाएगा. ये इमारतें तीर्थयात्रियों को सुविधा केंद्र, वैदिक केंद्र, मुमुक्षु भवन, भोगशाला, सिटी म्यूजियम और फूड कोर्ट सहित कई सुविधाएं प्रदान करेंगी.
ये प्रोजेक्ट लगभग पांच लाख वर्ग फुट के विशाल क्षेत्र में फैला है, जबकि पहले यह परिसर लगभग 3,000 वर्ग फुट तक ही सीमित था. कोविड-19 वैश्विक महामारी के बावजूद प्रोजेक्ट का काम समय पर पूरा हो किया गया. करीब 339 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन मुख्य कार्यक्रम होगा.
339 करोड़ रुपए से बना पहला फेज
इस बीच, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने एक बयान में कहा कि मोदी अपराह्न लगभग एक बजे मंदिर जाएंगे और लगभग 339 करोड़ रुपये की लागत से बने श्री काशी विश्वनाथ धाम के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे.
बयान में कहा गया है कि भगवान शिव के तीर्थयात्रियों और भक्तों की सुविधा के लिए लंबे समय से मोदी का एक दृष्टिकोण था. इसमें कहा गया है, ‘‘इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, श्री काशी विश्वनाथ धाम को गंगा नदी के किनारे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को जोड़ने के लिए आसानी से सुलभ मार्ग बनाने के वास्ते एक परियोजना के रूप में अवधारणा की गई थी.’’
इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने परियोजना के सभी चरणों में गहरी और सक्रिय रुचि ली. बयान में कहा गया है कि उनके द्वारा नियमित ब्रीफिंग, समीक्षा और निगरानी की जाती थी क्योंकि उन्होंने परियोजना को बेहतर बनाने और दिव्यांगों सहित तीर्थयात्रियों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए लगातार सुझाव और विचार दिये थे.