पीएम मोदी औरंगाबाद में 21 हजार करोड़ की परियोजना का उद्घाटन किया. औरंगाबाद को सौगत देने के बाद पीएम मोदी बेगूसराय पहुंचे. पीएम मोदी ने बेगूसराय को भी सौगात दी. इस दौरान पीएम ने जनसभा को संबोधित किया. मौके पर मंच पर सीएम नीतीश कुमार, दोनों डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा, गिरिराज सिंह और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी भी मौजूद रहे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथ हिलाकर सभी का अभिवादन किया. वहीं सीएम नीतीश कुमार ने पीएम का शाल ओढ़ाकर स्वागत किया. केंद्रीय मंत्री व डिप्टी सीएम ने संयुक्त रूप से पीएम मोदी का स्वागत किया.
पीएम मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि जयमंगलागढ़ मंदिर व नौलखा मंदिर को प्रणाम करता हूं. पीएम मोदी ने कहा कि बेगूसराय की धरती प्रतिभावान की धरती है. किसान व मजदूर को मजबूत किया है. आज फिर बेगूसराय का गौरव लौट रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि पहले ऐसे कार्यक्रम विज्ञान भवन में होते थे.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि, मोदी ने दिल्ली को बेगूसराय में ले आया है. एक ही प्रोजेक्ट में इतना निवेश दिखाता है कि भारत बढ़ रहा है. यही पर रोजगार के अवसर बनेंगे. पीएम मेदी ने कहा कि बच्चा बच्चा कह रहा अबकी बार 400 पार. पूर्वी भारत का तेज विकास ही हमारी प्राथमिकता है.
पीएम मोदी ने बेगूसराय में कहा कि पुरानी सरकारों की बेरुखी के कारण बरौनी, सिंदरी, गोरखपुर, रामागुंडम के खाद कारखाने बंद पड़ गए थे. आज ये सारे कारखाने यूरिया में भारत की आत्मनिर्भरता की शान बन रहे हैं. इसलिए तो देश कहता है- मोदी की गारंटी यानी गारंटी पूरा होने की गारंटी.
इस दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इस बार परमानेंट साथ हैं. इस बार इधर-उधर जाने का सवाल ही नहीं है। नीतीश कुमार ने कहा कि आज के कार्यक्रम के लिए पीएम का स्वागत करता हूं. वे आगे भी आते रहेंगे. 14 परियोजना का उद्घाटन व 36 का शिलान्यास यह बड़ी उपलब्धि है. बरौनी रिफाइनरी को अपग्रेड किया जा रहा है, मामूली बात नहीं है. हम कह देना चाहते लोकसभा चुनाव में एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें आएंगी.
इससे पहले औरंगाबाद में पीएम मोदी ने परिवारवाद को लेकर कहा कि NDA की शक्ति बढ़ने के बाद बिहार में परिवारवादी राजनीति हाशिए पर जाने लगी है. परिवारवादी राजनीति की एक और विडंबना है. मां-बाप से विरासत में पार्टी और कुर्सी तो मिल जाती है, लेकिन मां-बाप की सरकारों के काम का एक बार भी जिक्र करने की हिम्मत नहीं पड़ती है. ये है परिवारवादी पार्टियों की हालत.