समस्या वही उत्पन्न होती है जहाँ कोई नाम आदि जानने के बाद अपनी विशेष प्रकार की हरकत करे.. कम से कम ऐसे कृत्य भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य्नाथ के उस नारे से मेल नहीं खाते जिसमे वो कहते हैं कि - "सबका साथ , सबका विकास".. फिर सवाल ये है कि क्या ये सिद्धांत योगीराज में ही आने वाले जनपद प्रतापगढ़ में लागू नही होता ?
विदित हो कि नवागत पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य के द्वारा जनपद की कमान संभालने के बाद से अचानक ही प्रतापगढ़ में पुलिस से जुडी खबरों की बहार जैसी आ गई है. इस से पहले प्रतापगढ़ जिला रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ राजा भैया के नाम से ज्यादा चर्चित हुआ करता था लेकिन अब वही जिला पुलिस की हरकतों के चलते ज्यादा विवादों में है.
गौर करने योग्य है कि एक बार फिर से प्रतापगढ़ जिले को चर्चा में लाने वाले थाने का नाम है मान्धाता. यहाँ पर तैनात सब इंस्पेक्टर शहंशाह खान की कार्यशैली उनके नाम के अनुरूप पहले से ही बताई जा रही थी लेकिन न जाने उसकी जानकीर वहां के पुलिस प्रमुख को क्यों नही थी.. आखिरकार शहंशाह खान ने ऐसा कार्य कर ही दिया कि उनके पुलिस प्रमुख के साथ पूरा प्रदेश उन्हें और उनके अधिकारियो को जान ही गया.
विदित हो कि बाकी जिलों में दुर्दांत अपराधियों के खिलाफ महाभियान छेड़ने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस के जनपद प्रतापगढ़ पुलिस के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारे लगे हैं. पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य के प्रतापगढ़ आगमन पर मान्धाता में पहली बार लगा है ऐसा नारा संभवतः नई सरकार में पहली बार लगा. ये सब कुछ कोतवाली मान्धाता में तैनात सब इंस्पेक्टर शहंशाह खान द्वारा अर्जुन नाम के एक लड़के की बेवजह पिटाई करने से हुआ है.
इस घटना के बाद वहाँ के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. ग्रामीणों के अनुसार यदि ऐसा ही करेंगें पुलिस विभाग के कर्मचारी बर्ताव तो कैसे करेंगें आमजनमानस न्याय की उम्मीद ? प्राप्त जानकारी के अनुसार मान्धाता बाजार में बाइक चेकिंग कर रहे थे एस आई शहनशाह. तभी अर्जुन नाम के युवक को बेवजह पीटा गया और उसी के बाद वहां लोग आक्रोशित हो गये .
इस मामले में एक वीडियो अर्जुन का वायरल हो रहा है जिसमे वो अपने साथ हुई आपबीती बताते हुए कह रहा है कि किस प्रकार से उसको बेवजह सब इंस्पेक्टर शहंशाह द्वारा पीटा गया है. शहंशाह के मामले ने जब तूल पकड़ा तो मौके पर मान्धाता थाने के इंस्पेक्टर पहुचे तो भीड़ तब तक जा चुकी है. उस समय इंस्पेक्टर ने इस घटना की जानकारी होने से इंकार किया था लेकिन अर्जुन नाम के युवक के वायरल वीडियो पर अभी तक कोई बोलने को तैयार नहीं है.
यहाँ ये ध्यान रखने योग्य है कि ये वही सब इंस्पेक्टर हैं जिनकी सरकारी पिस्टल ADG प्रयागराज के आकस्मिक निरीक्षण के समय नहीं चल पाई थी और उन्हें दंड स्वरूप थाने के गेट तक दौड़ लगानी पड़ी थी. यद्दपि पिस्टल चले न चले पर उनके हाथ आम जनता के ऊपर जरूर चल रहे हैं और उसके चलते जनता में पुलिस की एक बेहद नकारात्मक छवि बन रही है;