इंडोनेशिया की राजधानी अब जकार्ता नहीं होगी. जकार्ता बेहद घनी आबादी वाला शहर हो चुका है. इससे वहां मूलभूत सुविधाओं पर जरूरत से ज्यादा बोझ पड़ रहा है. इसीलिए सरकार ने देश की राजधानी को यहां से हटाकर ‘नुसंतारा’ ले जाने का फैसला किया है. इस फैसले पर इसी मंगलवार को मुहर लगाई गई है. और दिलचस्प बात है कि दुनिया की सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले इस देश की नई राजधानी ‘नुसंतारा’ का नाता भी सनातन हिंदू धर्म से सदियों पुराना है. ठीक वैसे ही, जैसा कि यहां रहने वाली आम मुस्लिम, उसकी परंपरा और संस्कृति का है.
असल में स्थानीय जैवनीज भाषा में नुसंतारा का अर्थ होता है द्वीप मंडल या द्वीप समूह. और इस द्वीप मंडल ने 14वीं सदी में जावा द्वीप पर शासन करने वाले मजापहित साम्राज्य के दौर में आकार लिया था. उस वक्त इस साम्राज्य के हिंदू राजा थे हयम वुरुक और उनके प्रधानमंत्री का नाम था गज:मद . ‘साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक गज:मद ने एक बार प्रतिज्ञा की कि वे तब तक तामसिक भोजन नहीं करेंगे, जब तक कि पूरे नुसंतारा को मजापहित साम्राज्य ) के अधीन नहीं ले आते.
उसे नवगठित नहीं कर लेते.कहते हैं कि इसके बाद गज:मद विजय अभियान पर निकले. इसमें उन्होंने वर्तमान दिनों के मलेशिया, सिंगापुर, ब्रूनेई, दक्षिण थाईलैंड, तिमोर लेस्ते और दक्षिण-पश्चिम फिलिपींस के इलाकों को जीता. इन सभी इलाकों को मिलाकर ‘नुसंतारा’ को पुनर्गठित किया. इस तरह अपनी प्रतिज्ञा पूरी की. अपने ऐसे ही कारनामों की वजह से गज:मद को इंडोनेशिया में राष्ट्रीय नायक का दर्जा हासिल है. कालांतर में जब साम्राज्यवादी ताकतों के प्रभाव से मुक्त होने के लिए इंडोनेशिया में स्वतंत्रता-आंदोलन चला तो गज:मद और उनसे जुड़ी कहानियां उसके सबसे बड़े प्रेरक पहलू रहे.
यह भी ध्यान रखने लायक है कि इंडोनेशिया का राष्ट्रीय प्रतीक गरुड़ है, जिसे हिंदू सनातन परंपरा में भगवान विष्णु का वाहन कहा जाता है. यहां महज 40 हजार के करीब हिंदू आबादी है. कुछ बौद्ध और बाकी बहुसंख्य मुस्लिम हैं. लेकिन भगवान राम और रामायण सदियों से आज तक इंडोनेशियाई मुस्लिमों की जीवन-शैली और संस्कृति का अटूट हिस्सा बने हुए हैं.