कहना गलत नही होगा कि ये कांग्रेस के अन्दर का सबसे संवेदनशील मुद्दा है. ये वो विषय है जिस पर अंतिम निर्णय क्या आएगा ये कहना तो दूर अनुमान लगाना भी कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता उचित नही समझता है. लेकिन जब वही जमीनी कार्यकर्ता खुल कर अपनी पसंद को हाईकमान और आन्तरिक नेतृत्व के बजाय सोशल मीडिया पर व्यक्त करने लगें तो कहीं न कहीं ये जरूर लगता है कि सब कुछ सही नहीं चल रहा है.
विदित हो कि लगातार हार के बाद कांग्रेस के अन्दर बगावत के सुर बुलंद हो रहे हैं जिसकी शुरुआत कपिल सिब्बल जैसे बड़े और कद्दावर कांग्रेसी नेता ने की थी. कपिल सिब्बल ने खुद पर सवाल खड़े किये जाने तक को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया था और यही से शुरू हो गए कईयों के मुखर विरोध.. इसमें गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेताओं के बयान भी आते रहे.
इस बीच बिहार की हार के बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस को अब लोग विकल्प के रूप में भी नहीं देखना चाहते. उनका इतना ही बोलना था कि मल्लिकार्जुन खड्गे ने इतना तक कह डाला कि कांग्रेस के अन्दर ही कई लोग कांग्रेस को कमजोर करने पर तुले हुए हैं. आंतरिक कलह इस स्तर पर पहुच गई आखिरकार कि अब अध्यक्ष पद पर ही रार शुरू हो गई है.
गौर करने योग्य है कि अब कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए मची रार में कांग्रेसी २ फाड़ होते दिखाई दे रहे हैं. एक बड़ा तबका और धडा राहुल गांधी के पक्ष में खड़ा होता दिखाई दे रहा है तो दूसरी तरफ प्रियंका गांधी के पक्ष में प्रमोद कृष्णम जैसे बड़े नेताओं ने ताल ठोंक दी है.. इस बीच में कई कांग्रेसी सोनिया गांधी को ही अध्यक्ष पद पर बने रहने देने के पक्ष में भी दिख रहे हैं.
कांग्रेस के बड़े और कद्दावर नेताओं में से एक प्रमोद कृष्णम ने एक ट्विट कर के लिखा है कि - "देश के वर्तमान राजनैतिक “परिदृश्य” को देखते हुए कांग्रेस के करोड़ों कार्यकर्ताओं की भावना है कि पार्टी की “कमान” प्रियंका गांधी को सौंप दी जाये, ताकि मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के “ख़िलाफ़” पूरे देश में एक जन आंदोलन खड़ा किया जा सके"
प्रमोद कृष्णम के इस ट्विट पर कई लोग उनका समर्थन करने उतर गये हैं तो कई लोग उनका विरोध कर रहे हैं.. उदहारण के लिए उनके ही ट्विट पर प्रेस विजय नाम का हैंडल लिखता है कि - पूरी तरह असहमत हूं आपसे प्रमोद भाई जी।राहुल गांधी एक कारगर नेतृत्वकर्त्ता हैं। सिर्फ 5-7 वर्ष के राजनीतिक नज़रिए के मूल्यांकन से कोई गलत सलाह विल्कुल नही दे।जिस प्रकार राहुल जी ने गुजरात विधानसभा के दौरान जूझने का काम किए थे। बस उसी तेवर की जरूरत है। राहुल का कोई विकल्प नही।
उसी ट्विट के प्रतिउत्तर में धीरज सिंह विरोध दर्ज करवाते शब्दों के साथ लिखते हैं कि - " कपिल सिब्बल , गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे , सचिन पायलट आदि क्यों नहीं ?? सिर्फ और सिर्फ सोनिया फैमिली ही क्यों ?? फिलहाल देखिये प्रमोद कृष्णम का वो ट्विट और उस पर आई प्रतिक्रियाएं -