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अरे, तुम तो सिपाही हो.. AC कैसे लगवा ली.. ? फिर मिला मात्र 3 दिन का समय और साथ में एक चेतावनी भी.. जिसमें एहसास दिलाया गया अपने रुतबे का

साहब का रुतबा कायम रहना चाहिए .. बाकी सब बाद में देखा जाएगा .. साहब को भी नही पता रहा होगा कि उसके घर में AC लगी है ..

राहुल पाण्डेय
  • May 30 2020 6:01PM

साहब का रुतबा कायम रहना चाहिए .. बाकी सब बाद में देखा जाएगा .. साहब को भी नही पता रहा होगा कि उसके घर में AC लगी है .. आस पास से ही किसी उसी स्तर के स्टाफ ने बताया होगा , ये सोच कर कि साहब हमसे खुश और किसी से नाराज होंगे ..और आख़िरकार ऐसा ही हुआ.. साहब बताने वाले से खुश कितने हुए ये तय नहीं लेकिन AC लगवाने वाले से नाराज कितने हुए ये अब पूरा प्रदेश ही नहीं बल्कि देश जान रहा है. यद्दपि AC कहाँ लगी है और किस के घर में कितनी लगी है ये बताने की जरूरत नहीं है.. हाँ ये अलग बात है कि सबके हिस्से और किस्मत में AC आफिस , AC आवास , और ड्यूटी के लिए AC वाहन नही होते. फ़िलहाल बात अगर सिपाही या पुलिस विभाग के अराजपत्रित कर्मियों की हो तो उन बेचारे सिपाहियों के वजूद का एहसास केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि आतंकी अफजल गुरु और अजमल कसाब की जेल के अंदर रहने के बाद भी सुरक्षा में करोड़ो खर्च होते हैं लेकिन उनके लिए खुद को चिलचिलाती गर्मी में खुद को ठंडा रखने का अपने खुद के पैसे से उपाय करना भी गुनाह है.

कोई बड़ी बात नहीं कि उन पर जांच भी बिठा दी जाय कि पता करो इतना पैसा कहाँ से पा रहा है. संभवतः उसकी पहिचान ही मैली कुचैली वर्दी और पैरों में एक फटा हुआ पुराना जूता ही बना देने पर आमादा है कुछ बहुत बड़े अधिकरी गण जिन्हें भगवान् के साथ संविधान ने भी अथाह ताकत दे दी है. लेकिन यहाँ वो बेचारा सिपाही / अराजपत्रित खुद भूल करता है.. उसको किसी न किसी रूप में ऐसे आदेश दे कर शायद याद दिलाया जाता है कि वो वर्ष 1861 के पुलिस एक्ट के द्वारा तय पुलिसकर्मी है. उसकी सीमाओं में बाइक तक से चलना मना है क्योकि उसको साईकिल भत्ता आधिकारिक रूप से मिलता है. यद्दपि सरकार के साथ जनता को भी पुलिस मात्र  कुछ पलों में हाजिर चाहिए होती है और अहिंसा की पूजा  करने वाले इस देश में अपनी रक्षा के लिए आने वाले पुलिस बल के हाथो में अत्याधुनिक हथियार अलग से. लेकिन असल  में वो वर्दी वाला ही जानता है कि उसकी सीमा  कितनी और कहाँ तक है..ठीक वही उतनी , जिनती फतेहपुर के अधिकारियो ने याद दिला दी.

ध्यान देने योग्य है कि जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश के पुलिस अधिकारियो ने एक सिपाही को नोटिस भेजा है कि उसने अपने आवास में लगी AC अगर 3 दिन में न निकलवाई तो उस पर कार्यवाही होगी. ये आदेश सोशल मीडिया में वायरल हो गया. अब संभावना ये भी जताई जा रही है कि क्या पता पत्र वायरल होना भी बेचारे सिपाही की अनुशासनहीनता मान ली जाय और उसके साथ वो सब हो जाय जो 3 दिन बाद AC न हटाने के बाद होने वाला था. फतेहपुर में AC के नाम पर मौसम से ज्यादा गर्म तो अधिकारी ही दिखाई दिए है और हर हाल में सज़ा का पात्र सिपाही शायद अब AC ने सही नोटिस पर ही दंड पा जाए.  पुलिस विभाग की सबसे निचली और सबसे कमजोर कड़ी होती है सिपाही की.. मात्र एक आरोप काफी है उसकी दुर्गति तय करने देने के लिए. आज के कोरोना काल में भी वो रात में १२ बजे और दिन के १ बजे सडको पर ट्रैफिक संभालते या समाज हित के ही अन्य कार्य करते दिखाई दे जाएगा.. उसकी ड्यूटी का समय क्या है कोई नहीं जानता क्योकि किसी भी समय उसके क्षेत्र में घटी कोई भी घटना उसकी नौकरी निगल जाती है.. अर्थात 24 घंटे और 365 दिन ड्यूटी देने वाला सिपाही कुछ समय के लिए जब सोना चाहता है तो चिलचिलाती धुप से तप रहा उसका सरकारी मकान उसे पसीने से तर बतर नींद लाने में कुछ घंटे जरूर ले लेता है और वही कुछ घंटे उसकी जिन्दगी के सुकून के पल होते हैं..

ऐसे में बिना खाया और बिना सोया सिपाही पिछले २ सालों से अब तक क्या कर रहा है इसको बताने की जरूरत नहीं है. कुछ जिलों को छोड़ कर बाकी शायद ही कोई जगह बची हो जहाँ किसी पुलिसकर्मी ने आत्महत्या न की हो.. सुदर्शन न्यूज़ ने इस से पहले भी बरसात में पानी से भरी बैरकें , गर्मी में बिना पंखे की पुलिस चौकियां आदि दिखाई थी, तब आशा की जा रही थी कि शायद उन पर अधिकारियो का ध्यान जाएगा और उनमे सुधार होगा, लेकिन असल में अधिकारी तो उन बैरको को तलाश रहे थे जिसमे कूलर और AC लगी हो.. और आख़िरकार उन्होंने खोज ही निकाला ऐसा एक मकान फतेहपुर में. ये वही फतेहपुर है जहा अराजपत्रित स्टाफ की पहली मांग बार्डर स्कीम हटाने का विरोध आधिकारिक तौर पर हुआ था..अब यहीं से अराजपत्रित स्टाफ को AC हटाने का आदेश जारी हुआ है. सरकार अपराधियों और आतंकियों के रहने वाली जेलों तक को हाईटेक करने के अभियान पर कार्य कर रही है लेकिन सरकारी लोग समाज के रक्षक पुलिस वालों के बैरकों में झाँक कर  देख रहे हैं कि कोई बैरक किसी के खुद के खर्च पर भी हाईटेक को नही. दुनिया यकीनन तेजी से आगे बढ़ रही है लेकिन वहीँ पुलिस विभाग का एक हिस्सा तेजी से पीछे धकेला जा रहा है..

विवाद बढ़ जाने पर फतेहपुर पुलिस अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ये सफाई दे रही है कि सिपाही अपना खुद का मीटर इत्यादि लगा कर कुछ भी चला सकता है लेकिन यहाँ ये सवाल बनता है कि यही आदेश उस नोटिस में क्यों नहीं लिखा गया जिसमे साफ़ साफ़ लिखा था कि अगर सिपाही ने AC 3 दिन में न हटाया तो कार्यवाही होगी. सवाल ये जरूर बनता है कि अगर उस सिपाही के घर में कोई छोटा बच्चा हो जो गर्मी न झेल पाए तो , या कोई ऐसा सदस्य हो जो किसी रूप में अस्वस्थ हो.. यद्दपि सिपाहियों के लिए ये सब मानवाधिकार की बातें न अधिकारियो को आनंद देती हैं और न ही सत्ता को.  नोटिस का इतना वायरल हो जाना अब उस सिपाही के लिए क्या असर पैदा करेगा इसको पुलिस का एक बड़ा वर्ग अन्दर ही अंदर जान रहा है,.,.कुछ का ये कहना है कि उसने मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाल दिया है.. कुछ समय पहले जब भारत के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कह कर सबको इसमें साथ देने का आह्वान किया था तब पुलिस वालों के मन में ये जरूर आया होगा कि क्या अब 1861 के कानून पर निर्भरत खत्म होगी ?लेकिन फतेहपुर पुलिस के सक्षम अधिकारी ने एक बार फिर से एहसास करवा दिया है कि कहाँ बदलाव होगा और कहाँ नहीं .. 

पिछले कुछ समय से बिहार के DGP गुप्तेश्वर पाण्डेय ने जिस प्रकार की कार्यशैली अराजपत्रित कर्मियों के लिए दिखाई उस से पूरे देश के पुलिस बल में ये आशा जगी थी कि संभवतः बाकी अन्य पुलिस अधिकारियो में भी वही भाव जागेगा. बाकी अन्य भी DGP बिहार की तरह घायल और अपमानित अराजपत्रित पुलिसकर्मियों का हाल चाल लेंगे और उनके दुःख दर्द को समझेंगे.. लेकिन आख़िरकार बिहार से कुछ सौ किलोमीटर दूर फतेहपुर से ये साबित हुआ है कि पुलिस बल अभी काफी कुछ सहना और सुनना होगा.. फ़िलहाल  AC लगवाने को ले कर  नोटिस पाए कांस्टेबल के साथ क्या हुआ या क्या होगा ये सुदर्शन न्यूज़ आपको जरूर अपडेट देगा.. 

रिपोर्ट -

राहुल पाण्डेय 

सुदर्शन न्यूज़ - मुख्यालय नॉएडा

मो0- 9598805228

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