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बिहार में सियासी उलटफेर; नीतीश कुमार ही होंगे नई सरकार में सीएम, तेजस्वी होंगे डिप्टी सीएम, RJD के पास स्पीकर पद

आरजेडी में इस दफा सीधा तेजस्वी यादव इस कमान को संभाले हुए हैं और समय समय पर लालू प्रसाद से संपर्क किया जा रहा है.

Geeta
  • Aug 9 2022 4:37PM

बिहार में 5 साल बाद फिर से राजनीति करवट बदल रही है. दरअसल, JDU ने भाजपी से गठबंधन तोड़ कर RJD के साथ नई सरकार बना ली है. बता दें कि बिहार में नई सरकार की रूप रेखा भी तय हो चुकी है. JDU-RJD की बैठक में तेजस्वी नीतीश कुमार को सीएम बनाने के लिए तैयार हुए. लेकिन यहां फैसला हुआ किआरजेडी नेता तेजस्वी खुद डिप्टी सीएम के अलावा गृह विभाग भी अपने पास ही रखेंगे. इतना ही नहीं आरजेडी का ही सदन में स्पीकर भी होगा ये भी तय हो चुका है.  

आरजेडी में इस दफा सीधा तेजस्वी यादव इस कमान को संभाले हुए हैं और समय समय पर लालू प्रसाद से संपर्क किया जा रहा है. मालूम हो कि 2017 में नीतीश RJD के साथ सरकार चला रहे थे. लालू के छोटे बेटे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बड़े बेटे तेजप्रताप कैबिनेट में थे. सावन महीने में नीतीश ने RJD से पल्ला झाड़कर BJP का दामन थाम लिया था। तब नीतीश ने राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में मंत्रिमंडल खुद-ब-खुद भंग हो गया था.

जहां एक बार फिर से ऐसा ही उलटफेर हुआ. नीतीश ने खुद राजभवन जाकर राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपा. इससे पूरा मंत्रिमंडल ही भंग हो गया, और नई सरकार बनते ही एक बार फिर से नीतीश बिहार के सीएम बने. अब नई सरकार भी बन गई है, नए सीएम भी चुने जा चुके हैं और कौन होगा डिप्टी सीएम इसका भी ऐलान हो गया है...लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर नीतीश ने बीजेपी से गठबंधन क्यों तोड़ा? आखिर उन्हें बीजेपी से ऐसा क्या डर है?..... चलिए हम बताते हैं कि आखिर बीजेपी से गठबंधन तोड़ा...

यूं तो नीतीश कुमार और भाजपा के बीच अनबन 2020 में सरकार बनने के बाद से ही शुरु हो गई थी. भाजपा नेताओं के बयानबाजी से नीतीश कुमार असहज महसूस करते थे। इसके बाद नीतीश कुमार को यह लगने लगा कि भाजपा अब उनकी ही पार्टी खत्म करने पर तुली है. पिछले एक साल के अंदर नीतीश कुमार को कई बार लगा कि भाजपा अब उनकी ही पार्टी में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है.

मतलब जदयू के विधायकों, सांसदों और नेताओं को तोड़कर भाजपा अकेले दम पर सरकार बना सकती है. ऐसे में उन्होंने अपनी पार्टी की निगरानी शुरू कर दी. ये देखने लगे कि उनकी पार्टी के किस-किस नेताओं के रिश्ते भाजपा से मजबूत हो रहे हैं. ऐसे लोगों को नीतीश चुन-चुनकर निकालने लगे. सबसे पहले निशाने पर आए जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक, पार्टी के प्रदेश महासचिव अनिल कुमार, विपिन कुमार यादव, भंग समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज. इसके बाद नंबर आरसीपी सिंह का आया.

चूंकि आरसीपी सिंह केंद्र सरकार में जदयू कोटे से मंत्री थे. जैसे ही आरसीपी की राज्यसभा सदस्यता खत्म हुई और उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. पार्टी ने उनपर कार्रवाई शुरू कर दी. पार्टी ने उनपर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दिया. जिसके बाद आरसीपी सिंह ने खुद इस्तीफा दे दिया. इन सबके बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के इस बयान ने नीतीश कुमार की शंका को और मजबूत कर दिया. इसके बाद वह एनडीए का साथ छोड़कर नया गठबंधन बनाने की कोशिशों में जुट गए. जिसके बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया. JDU खुद इस बात को बार बार कहती आई है कि बीजेपी JDU को तोड़ना चाहती है.

 

 

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