भारत, वो देश जहाँ देवियो की पूजा होती है, लड़कियों और महिलाओ को विशेष इज्जत दी जाती हैं, साथ ही अब उनके जन्म पर भी किसी को दुःख नहीं, बल्कि ख़ुशी होती है। एक समय ऐसा भी था जब भारत में लोग लड़कियों के पैदा होने पर दुखी हो जाते थे, बच्ची को बोज समझते थे, एक समय तो ऐसा भी था जिसमे पुरुषो की संख्या से कही कम महिलाओ की संख्या हुआ करती थी। लेकिंन जैसे जैसे भारत आधुनिकीकरण की तरफ बढ़ा, और विकास की तरफ अपने कदम को बढ़ाया वैसे ही भारत में महिलाओ को स्थिति में काफी सुधार हुआ।
दरअसल, भारत में महिला-पुरुषो की संख्या को लेकर एक बेहद अच्छी खबर सामने आई है, 'नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे' में ये आंकड़ा सामने आया है कि अब प्रति 1000 पुरुष पर 1020 महिलाए हो गई है, जो कि एक बहुत बड़ा आंकड़ा है। अगर बीते आकड़ो पर नज़र डाले तो 2019-21 में संख्या प्रति 1000 पुरुष पर 929 महिलाओ की थी।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 ने दी राहत
राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 से एक और अच्छी बात यह सामने आई है कि, खुद का बैंक खाता रखने वाली महिलाओं की संख्या 25% बढ़ी है। अब 78.6% महिलाएं अपना बैंक खाता ऑपरेट करती हैं। जबकि, 2015-16 में यह आंकड़ा 53% ही था।
वहीं 43.3% महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है, जबकि 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4% ही था। इसके अलावा जिस लिंगानुपात का जिक्र आते ही भारत को दुनिया में बेहद खराब बताया जाता था, अब राहत की बात यह है कि, नए सर्वे में लिंगानुपात का आंकड़ा प्रति 1000 बच्चों पर 929 बच्चियों तक पहुंच गया है।
गांव अब भी शहर से आगे
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण( NFHS-5) के आंकड़ों में गांव और शहर में सेक्स अनुपात की तुलना की गई है। सर्वे के अनुसार सेक्स अनुपात शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतार हुआ है। गांवों में जहां हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, वहीं शहरों में 985 महिलाएं हैं। बता दें कि इससे पहले NFHS-4(2019-2020) में गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
जेंडर रेश्यो 2015-16 के मुकाबले 10 अंक सुधरा आंकड़ा
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के अनुसार, पहली बार भारत की कुल आबादी में प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1020 हो गई है। इससे पहले 2015-16 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 में यह आंकड़ा प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाओं का था।
एक और अच्छी बात यह है कि, कुल आबादी में लिंगानुपात शहरों के बजाय गांवों में बेहतर है। गांवों में प्रति 1000 पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं ही हैं। बुधवार को जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के आंकड़े यही बताते हैं।