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क्यों करें इतने निकाह मुसलमान.. कानून एक तो विवाह अनेक कैसे ? पूछा गया है शीर्ष से

मुस्लिम बहुविवाह कानून को चुनोती... ये महिलाओं के साथ भेदभाव और उनके अधिकारों का हनन

Sudarshan News
  • Dec 5 2020 6:03PM
भारतीय संविधान सभी जाति पंथ के लोगो को समानता का अधिकार देता है।लेकिन संविधान में एक धर्म के लोगो को 5 बीवियां रखने की इजाजत भी देता है।जिसके विरुद्ध अब मुस्लिम बहुविवाह को अधिकार देनी वाली शरीयत एप्पलीकेशन एक्ट1937 की धारा2को खत्म करने के लिए याचिका दायर की गयी है।सुप्रीम कोर्ट की तर्क दिया गया है मुस्लिम बहुविवाह महिलाओं के साथ भेदभाव और उनके अधिकारों का हनन करता है।

जिसके परिपेक्ष्य में अनुच्छेद14 और 15(1)का मुस्लिम बहुविवाह  उल्लंघन घोषित करे।साथ ही इसमें कहा है कि संविधान में दंड के प्रवाधान अलग अलग नही हो सकते।इस याचिका को हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन के साथ पांच महिलाओं ने साथ मिलकर दाखिल की है।भारतीय संविधान में हिन्दू ईसाई सिख ,पारसी जैन बौद्ध आदि लोगो को दूसरी की शादी की मान्यता नही है।जबकि मुस्लिम लोगो के लिये ऐसा नही है।

अगर  मुस्लिमो को छोड़कर कोई और धर्म का व्यक्ति दूसरी शादी करता है तो संविधान की धारा494 के तहत सजा का परार्थी है।और उसे7 वर्ष की सजा और जुर्माना लग सकता है।जबकि अगर मुस्लिम व्यक्ति  दूसरी शादी करता है तो उसके लिये कोई सजा नही है।

क्योंकि मुस्लिम व्यक्ति को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एप्पलीकेशन एक्ट1937 की धारा2को तहत इजाजत मिली हुई है।जिससे मुस्लिम व्यक्ति बिना किसी भय के 5शादी भी कर सकता है।इसी के चलते संविधान की धारा494 भेदभाव की संज्ञा प्रस्तुत करती है।

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