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जम्मू कश्मीर में हो रहा विकास... पत्थरबाजी बंद गोलाबारी पुरानी बात

घाटी में पत्थरबाजी, बंद और गोलाबारी अब पुरानी बातें हो गई है.

Kapil Pal
  • May 29 2023 11:33AM

घाटी में पत्थरबाजी, बंद और गोलाबारी अब पुरानी बातें हो गई है. कश्मीर में अब आतंकवाद नहीं नैसर्गिक सुंदरता और विकास हो रहा है और दिख रहा है. विभिन्न मंच पर प्रकाशित हो रही विकास से संबंधित खबरें इसकी गवाह है. जम्मू- कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद हिंसा में कमी आई है. मीडिया भी प्रदेश में अच्छी चीजों को रिपोर्ट कर रहा है.

तीन वर्षों के दौरान आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी आई है. पथराव और बंद इतिहास बन गए है. पाकिस्तान प्रायोजित जी 20 बैठक का अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा व्यापक प्रचार किया गया. इनमें से कई ने कश्मीर में स्थिरता और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए भारत करने के लिए भारत के प्रयासों को उजागर किया.

जी 20 शिखर सम्मेलन में 17 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. विचार- मंथन सत्र में भाग लेने के अलावा, अलावा, उन्होंने श्रीनगर में ऐतिहासिक स्थानों का दौरा किया. उन्होंने अपने परिवारों और दोस्तों के साथ लौटने और जम्मू- कश्मीर को अपने देशों में एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने की कसम खाई. वास्तव में, कोई भी नेता जोखिम नहीं लेना चाहता था. क्योंकि जेके के शासकों ने एक मिथक बनाया था कि इस तरह के किसी भी फैसले के दूरगामी परिणाम हो सकते है.

पिछले तीन वर्षों के दौरान, जम्मू और कश्मीर को हजारों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त योजनाओं के माध्यम से 5 लाख से अधिक युवाओं को रोजगार प्रदान किया गया है. नई सड़को और राजमार्गों का निमार्ण किया गया है.

जम्मू- कश्मीर बिजली उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह पर है, लोग 5G इंटरनेट स्पीड का लुत्फ उठा रहे है. महिलाओं को समान अवसर मुहैया कराए गए है, कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली ट्रेन कुछ महीने दूर है. महत्वपूर्ण बात यह है कि आतंकी संगठनों में स्थानीय भर्ती शून्य हो गई है.

कश्मीर जाने वाले विदेशी दूतों और पर्यटकों की खबरों, जम्मू- कश्मीर में नए पर्यटन स्थलों के आने औल बॉलीवुड के यूटी में लौटने की खबरों ने हत्याओं और विनाश की कहानियों की जगह ले ली है. पिछले तीन वर्षों में, जेके में जमीनी स्थिति में सुधार हुआ है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाले शासन ने आतंकवादियों, अलगावादियों और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया है जिन्होंने उन्हें प्रायोजित, वित्त पोषित किया है. 

सत्तर सालों से जम्मू- कश्मीर पर शासन करने वाले कश्मीर के राजनेताओं ने यह धारणा बना ली थी. कि अनुच्छेद 370 प्रदेश और नई दिल्ली के बीच एक सेतु है और अगर इसे छेड़ा गया तो जम्मू- कश्मीर को पाकिस्तान की गोद में धकेल देगा. उनकी धारणा लोगों को यह बताने के इर्द- गिर्द घूमती है कि जेके की तथाकथित विशेष स्थिति एक ढाल है जो उनकी रक्षा करती है और उन्हें किसी भी कीमत पर इसकी रक्षा करनी होगी.

नरेंद्र मोदी 2014 में प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने घोषणा की कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) एक निशान, एक प्रधान और एक संविधान (एक प्रतीक, एक सिर और एक संविधान) के लिए है. उन्होंने यह पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा और इसे देश के अन्य क्षेत्रों के बराबर लाया जाएगा.

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