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बेहतर उपचार से टीबी के सक्रिय रोगियों में कमी आई है : सीएमओ हापुड़। जनपद में 2020-21 में 3247 सक्रिय रोगी थे, वर्तमान में 2081 सक्रिय रोगी क्षय रोगियों को गोद लेने का कार्यक्रम सराहनीय आ रहे हैं बेहतर परिणाम

हापुड़, 28 सितंबर, 2022। क्षय रोग के प्रति बढती जागरूकता और बेहतर उपचार से जनपद में क्षय रोग के सक्रिय रोगी कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि शुरुआती अवस्था में ही पहचान कर क्षय रोगियों का उपचार शुरू किया जाए ताकि क्षय रोगी अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमित न कर पाएं और टीबी के प्रसार पर प्रभावी रोक लग सके। यह बातें बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहीं। जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया - जनपद में वर्ष 2020-2021 में कुल 3247 सक्रिय क्षय रोगी थे। वर्तमान में जनपद में सक्रिय क्षय रोगियों की संख्या 2081 है। उन्होंने जनपद वासियों से अपील की है कि क्षय रोग के लक्षण आने पर तत्काल अपने नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर निशुल्क टीबी जांच कराएं। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर क्षय रोग विभाग की ओर से तत्काल निशुल्क उपचार शुरू किया जाएगा। गढ़ रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हापुड़ के चिकित्सा अधीक्षक डा. दिनेश खत्री जनपद में सक्रिय क्षय रोगियों में कमी आने के लिए बेहतर उपचार और बढ़ती जागरूकता के साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से शुरू हुए क्षय रोगियों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग के लिए गोद लेने के कार्यक्रम को मानते हैं। उनका कहना है कि इस पहल के बाद क्षय रोगियों को सकारात्मक ऊर्जा मिली है। बेशक आर्थिक रूप से कमजोर क्षय रोगियों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुष्टाहार के रूप में दी जा रही मदद की भी अहम भूमिका है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू हुई निक्षय पोषण योजना से क्षय रोगियों को हर माह मिलने वाली पांच सौ रुपए की राशि काफी मददगार साबित हो रही है और क्षय रोगियों की उपचार में रुचि बढ़ी है। जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर सुशील चौधरी बताते हैं कि जांच में क्षय रोग की पुष्टि होने के साथ ही विभाग की ओर से निशुल्क उपचार शुरू कर दिया जाता है। क्षय रोगियों को नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराने का कार्य जिले भर में संचालित डॉट सेंटरों की मदद से किया जा रहा है। क्षय रोगी को उसके घर के नजदीक डॉट सेंटर से नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराई जाती है और जरूरत पड़ने पर उपचार सहायक घर-घर दवा भी पहुंचाता है, साथ ही उसके लक्षणों के बारे में फालोअप भी करता है। अब क्षय रोगियों को गोद लेने वाली संस्थाओं को निक्षय मित्र के रूप में पंजीकृत किया जा रहा है। जनपद में अब तक 12 निक्षय मित्र पंजीकृत हुए हैं। निक्षय मित्र क्षय रोगियों को हर माह पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही यह भी देखते कि रोगी नियमित रूप से दवा ले रहा है कि नहीं, वह किसी वजह से परेशान तो नहीं है। क्षय रोगी मनीषा (काल्पनिक नाम) ने बताया कि उसे अप्रैल, 2022 में क्षय रोग की पुष्टि होने के साथ ही निशुल्क उपचार शुरू हो गया था। उसे नियमित रूप से दवाएं मिल रही हैं और वह नियमित रूप से दवाएं खा भी रही है। दवा के चलते उसे अपनी बीमारी में सुधार भी महसूस हो रहा है। मनीषा ने बताया - हर माह पांच सौ रुपए की ‌पोषण राशि उसके बैंक खाते में आ रही है। क्षय रोगी अरुण कुमार (काल्पनिक नाम) ने बताया 8 अप्रैल, 2022 से उसका टीबी का उपचार शुरू हुआ था। अब उसकी हालत में काफी सुधार है। दवाएं और पोषण राशि उसे नियमित रूप से प्राप्त हो रही है।

Madhur Mishra Twitter @MadhurMishraSTV
  • Sep 28 2022 5:52PM
हापुड़, 28 सितंबर, 2022। क्षय रोग के प्रति बढती जागरूकता और बेहतर उपचार से जनपद में क्षय रोग के सक्रिय रोगी कम हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि शुरुआती अवस्था में ही पहचान कर क्षय रोगियों का उपचार शुरू किया जाए ताकि क्षय रोगी अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमित न कर पाएं और टीबी के प्रसार पर प्रभावी रोक लग सके। यह बातें बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने कहीं। जिला क्षय रोग अधिकारी  (डीटीओ) डा. राजेश सिंह ने बताया - जनपद में वर्ष 2020-2021 में कुल 3247 सक्रिय क्षय रोगी थे। वर्तमान में जनपद में सक्रिय क्षय रोगियों की संख्या 2081 है। उन्होंने जनपद वासियों से अपील की है कि क्षय रोग के लक्षण आने पर तत्काल अपने नजदीकी टीबी केंद्र पर जाकर निशुल्क टीबी जांच कराएं। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर क्षय रोग विभाग की ओर से तत्काल निशुल्क उपचार शुरू किया जाएगा।
गढ़ रोड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, हापुड़ के चिकित्सा अधीक्षक डा. दिनेश खत्री जनपद में सक्रिय क्षय रोगियों में कमी आने के लिए बेहतर उपचार और बढ़ती जागरूकता के साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की प्रेरणा से शुरू हुए क्षय रोगियों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग के लिए गोद लेने के कार्यक्रम को मानते हैं। उनका कहना है कि इस पहल के बाद क्षय रोगियों को सकारात्मक ऊर्जा मिली है। बेशक आर्थिक रूप से कमजोर क्षय रोगियों को विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुष्टाहार के रूप में दी जा रही मदद की भी अहम भूमिका है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू हुई निक्षय पोषण योजना से क्षय रोगियों को हर माह मिलने वाली पांच सौ रुपए की राशि काफी मददगार साबित हो रही है और क्षय रोगियों की उपचार में रुचि बढ़ी है। 
जिला पीपीएम कोऑर्डिनेटर सुशील चौधरी बताते हैं कि जांच में क्षय रोग की पुष्टि होने के साथ ही विभाग की ओर से निशुल्क उपचार शुरू कर दिया जाता है। क्षय रोगियों को नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराने का कार्य जिले भर में संचालित डॉट सेंटरों की मदद से किया जा रहा है। क्षय रोगी को उसके घर के नजदीक डॉट सेंटर से नियमित रूप से दवा उपलब्ध कराई जाती है और जरूरत पड़ने पर उपचार सहायक घर-घर दवा भी पहुंचाता है, साथ ही उसके लक्षणों के बारे में फालोअप भी करता है। अब क्षय रोगियों को गोद लेने वाली संस्थाओं को निक्षय मित्र के रूप में पंजीकृत किया जा रहा है। जनपद में अब तक 12 निक्षय मित्र पंजीकृत हुए हैं। निक्षय मित्र क्षय रोगियों को हर माह पुष्टाहार उपलब्ध कराने के साथ ही यह भी देखते कि रोगी नियमित रूप से दवा ले रहा है कि नहीं, वह किसी वजह से परेशान तो नहीं है।
क्षय रोगी मनीषा (काल्पनिक नाम) ने बताया कि उसे अप्रैल, 2022 में क्षय रोग की पुष्टि होने के साथ ही निशुल्क उपचार शुरू हो गया था। उसे नियमित रूप से दवाएं मिल रही हैं और वह नियमित रूप से दवाएं खा भी रही है। दवा के चलते उसे अपनी बीमारी में सुधार भी महसूस हो रहा है। मनीषा ने बताया - हर माह पांच सौ रुपए की ‌पोषण राशि उसके बैंक खाते में आ रही है। क्षय रोगी अरुण कुमार (काल्पनिक नाम) ने बताया 8 अप्रैल, 2022 से उसका टीबी का उपचार शुरू हुआ था। अब उसकी हालत में काफी सुधार है। दवाएं और पोषण राशि उसे नियमित रूप से प्राप्त हो रही है।

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