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राज्यसभा में TMC सांसद बोले- BJP के कितने सांसदों ने इन विधेयकों को पढ़ा?

कृषि से जुड़े दो विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद केन्द्र सरकार ने रविवार को राज्यसभा में पेश किए।

Abhishek Lohia
  • Sep 20 2020 10:15PM

लोकसभा के बाद राज्यसभा में आज कृषि से जुड़े दो बिल पेश किया गया है। विपक्ष के विरोध के बीच आज कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में दोनों बिलों को पेश किया। आज राज्यसभा में टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तंज कसते हुए पूछा कि इन बिलों का समर्थन कर रहे कितने सांसदों ने बिल पढ़ा है।

राज्यसभा में कृषि बिलों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि आपने कहा था कि किसानों की आय 2022 तक डबल हो जाएगी। पर अभी वर्तमान में जो रेट चल रहा है उसके हिसाब से किसान की आय 2028 तक डबल नहीं हो सकती। मैं भी बड़ी बातें कर सकता हूं।

इन बिलों को लेकर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा जरूर कोई भ्रम की स्थिति है: संजय राउत
जब पूरा देश लॉकडाउन में घर में बैठा था तो किसान खेत में काम कर रहा था। इसलिए हम आज अनाज खा रहे हैं। इस बिल के पास होने के बाद इनकम डबल हो जाएगी और किसान आत्महत्या नहीं करेगा और उनके बच्चे भूखे नहीं सोएंगे। अब आप आश्वस्त करते हैं तो यह सरकार की सबसे सफलता होगी। इस बिल को लेकर पूरे देश में विरोध नहीं हो रहा है इस बिल को लेकर जरूर कोई भ्रम है। क्या केंद्रीय मंत्री ने एक अफवाह की वजह से इस्तीफा दे दिया। क्या वो कान के इतने कच्चे थे। अभी तो शुरू नहीं किया आप खत्म करने के लिए कह रहे हैं। खेती धीरे-धीरे कॉरपोरेट के हाथ में जा रही है।

कृषि बिलों को जेडीयू ने किया समर्थन
JDU सांसद राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पहली बार कृषि पर नीति तब आई जब अटल बिहार वाजपेयी प्रधानमंत्री थे और नीतिश कुमार कृषि मंत्री थे। दोनों बहुत अच्छे कानून है और किसानों की आय बढ़ेगी।

कांग्रेस सांसद का सरकार पर आरोप
राज्यसभा में रविवार को कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त करने और कार्पोरेट जगत को फायदा पहुंचाने के लिए दोनों नए कृषि विधेयक लेकर आयी है। हालांकि सरकार ने इसका खंडन करते हुए कहा कि किसानों को बाजार का विकल्प और उनकी फसलों को बेहतर कीमत दिलाने के उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं।

राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है।

बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी? उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं।

बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पेश किए दो बिल
कृषि से जुड़े दो विधेयक लोकसभा में पास होने के बाद केन्द्र सरकार ने रविवार को राज्यसभा में पेश किए। राज्यसभा में इस बिल पर चर्चा के लिए चार घंटे का समय तय किया गया है। इन बिलों को राज्यसभा में पेश करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा। वहीं इस बिल का समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और टीएमसी सांसद ने इसका विरोध किया। वहीं जेडीयू ने इस बिल का समर्थन किया है।

कांग्रेस और बीजेपी ने राज्यसभा के अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है। राज्यसभा में एनडीए का बहुमत नहीं है। इसके साथ एनडीए के घटकदल शिरोमणि अकाली दल भी इन विधेयकों के खिलाफ है। ऐसे कांग्रेस दूसरे गैर एनडीए दलों के साथ संपर्क कर रही है। पार्टी चर्चा के दौरान इन विधेयकों को सलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग करेगी। इसके लिए सरकार पर हर मुमकिन दबाव बना रही है।

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