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मातृ दिवस विशेष : नक्सली हमले में वीरगति को प्राप्त हो गया था बेटा, छत्तीसगढ़ की इस माँ ने बनवाई आदमकद प्रतिमा, रोज प्यार दुलार कर ममता की छाँव में रखती है अपने वीर बच्चे को

■ मां के ममता ने अपने वीरगति को प्राप्त बेटे की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर दी और रोज सुबह शाम उसे अपने जीवित बेटे जैसा प्यार दुलार करती है और उसका पूरा ख्याल भी रखती है।

योगेश मिश्रा
  • May 10 2020 3:26PM

छत्तीसगढ़ के जशपुर में मां की ममता का अद्भुत नजारा देखने को मिला है। वीरगति को प्राप्त बेटे की मां के ममता ने अपने जाँबाज़ बेटे की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर दी। और रोज सुबह शाम उसे अपने जीवित बेटे जैसा प्यार दुलार करती है और उसका पूरा ख्याल भी रखती है। मां से दूर रहकर भी जशपुर में मां की ममता का अद्भुत नजारा देखने को मिला  है। एक वीर बेटे की मां के ममता ने अपने वीरगति को प्राप्त बेटे की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर दी और रोज सुबह शाम उसे अपने जीवित बेटे जैसा प्यार दुलार करती है और उसका पूरा ख्याल भी रखती है। मां से दूर रहकर भी वीरगति को प्राप्त बेटा अपने माँ के बेहद करीब है। ममता की पराकाष्ठा ने आज भी मां के दिलों में अपने बेटे को जीवंत बनाकर रखा है।
इस तस्वीर को देखकर ये लगता है कि बेटा अपने माँ के बेहद करीब है। ममता की पराकाष्ठा ने आज भी मां के दिलों में अपने लाडले बेटे को जीवंत बनाकर रखा है।

जशपुर जिले के उड़ीसा सीमा पर पर बसा गांव पेरवांरा जहां वीरगति को प्राप्त बसील टोप्पो का घर है। यहां उसके माता पिता अपने बेटे की यादों के सहारे रहते हैं। वीरगति को प्राप्त बसील वर्ष 2011 में बस्तर के जिला पुलिस बल में तैनात था। बसील की पोस्टिंग बीजापुर के भद्रकाली पुलिस थाने में की गई थी। अगस्त 2011 में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग से इनके वाहन को उड़ा दिया था और इनपर अंधाधुंध फायरिंग की थी। इस नक्सली हमले में बसील टोप्पो वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
इस घटना के बाद बसील की मां का बुरा हाल था,बार बार वह अपने बेटे को याद करके सिसक सिसक कर रोती रहती थी। बेटे के अंतिम संस्कार के बाद मां ने वीरगति को प्राप्त बेटे के पिता से अपने बेटे की प्रतिमा स्थापित करने की बात कही। जिसके बाद उड़ीसा व कलकत्ता के कलाकारों द्वारा जाँबाज़ बसील की आदमकद प्रतिमा तैयार कर गांव में स्थापित की गई। मां की ममता इस कदर हावी थी कि उसने अपने बेटे बसील के शहादत को जीवंत रखने अपने वीरगति को प्राप्त बेटे की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर दी और उसी प्यार और दुलार से अपने बेटे के आदमकद प्रतिमा पर ममता लुटाने लगी। मां की ममता ऐसी है जैसे आज भी उसका बेटा जिंदा है और वह अपने बेटे को प्यार कर रही है। माँ को पता है कि उसका बेटा अब कभी वापस नहीं आएगा इसके बावजूद ममता का एहसास ऐसा है कि दूर जाकर भी मां का योद्धा बेटा आज भी अपनी मां के बेहद करीब है।

एक मां ने अपने बेटे की आदमकद प्रतिमा स्थापित कर ममता की अनोखी मिसाल पेश की है। इस मदर्स डे पर ऐसी मातृशक्तियों के जज्बे को सलाम करना चाहिए, जो शहादत के बाद भी अपने बच्चों के प्रति अपनी ममता को बरकरार रखे हुए हैं।

योगेश मिश्रा, छत्तीसगढ़ ब्यूरो-9329905333

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