कश्मीर में 1990 की उस काली रात को कौन भूल सकता है जब एक साथ कई लाख हिन्दुओं को घाटी से पलायन करना पड़ गया था। उस दौर में कई बड़े हिन्दुओं को मारा गया और यह ऐसे ही नहीं था। इसमें सीधा समर्थन तो पाकिस्तान का था लेकिन हिन्दुओं को मारने वाले हाथ तो कश्मीर मुस्लिमों के थे। आज आपको 90 के दशक की वो कहानी सुनाएंगे जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी।
हिंदुओं के नरसंहार का पहला मामला मार्च 1989 में सामने आया था। तब पहली बार टारगेट किलिंग का मामला सामने आया। बडगाम की रहने वाली प्रभावती हरि सिंह मार्ग से गुजर रहीं थीं। इसी दौरान कुछ आतंकियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। देखते ही देखते प्रभावती ने दम तोड़ दिया।
इसके कुछ दिनों के बाद सितंबर 1989 को इस्लामिक आतंकवादियों ने मशहूर कश्मीरी पंडित पं. टीका लाल टपलू को उनके घर में घुसकर गोलियों से भून दिया। इस हत्या ने कश्मीरी पंडितों के बीच खौफ भर दिया। इसके कुछ दिनों बाद ही जस्टिस नीलकंठ गंजू और शीला कौल टिक्कू की ह्त्या कर डाली।
दिसंबर 1989 में ही श्रीनगर में अजय कपूर को भरे बाजार में आतंकियों ने गोलियों मार कर उनकी ह्त्या कर डाली। दिसंबर में ही एडवोकेट प्रेमनाथ भट्ट और सरकारी कर्मचारी बलदेव राज दत्ता का अपहरण करके उनकी ह्त्या कर दी।
जनवरी 1990 को श्रीनगर में स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना साथियों के साथ एयरफोर्स की बस का इंतजार कर रहे थे। मारुति जिप्सी से हथियारबंद आतंकी आए और गोलियां चलाना शुरू कर दी। रवि समेत एयरफोर्स के 4 जवानों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि 10 अन्य घायल हो गए। इन हत्याओं में यासीन मलिक का हाथ बताया जाता है।
जनवरी 1990 में आतंकवादियों ने कश्मीरी हिंदू अशोक काजी के दोनों के पैरों में गोली मारी गई। अशोक के भाई मक्खन काजी बताते हैं कि आतंकी बिट्टा कराटे ने उनके भाई पर 3 गोलियां चलाईं। वह तड़पता रहा। आतंकी पास की दुकान पर लस्सी पीते रहे और उसने दम तोड़ दिया।
अप्रैल 1990 में कश्मीर के रहने वाले सर्वानंद कौल और उनके बेटे वीरेंद्र कौल को आतंकवादी अपहरण करके ले गए। दो दिन बाद दोनों का शव एक पेड़ पर लटका मिला। उनके शव क्षत विक्षत हालत में मिले थे।
प्रसिद्ध प्रोफेसर केएल गंजू को भी आतंकवादियों ने बुरी मौत दी। पहले उन्हें खूब पीटा और फिर नजदीक से उनके शरीर में छह गोलियां मार दी। सुबह शव नदी में फेंक दिए गए। इस मामले में पकड़े गए एक आरोपी ने पूरी कहानी बताई थी।
जानकारी के अनुसार 1990 में 60 हजार से ज्यादा कश्मीरी हिन्दुओं ने घाटी से पलायन किया था। कश्मीर में उस समय हिन्दुओं की आबादी करीब पांच लाख थी, लेकिन कश्मीर को इस्लामिक स्टेट बनाने की मजहबी सोच की वजह से साल 90 के अंत तक 95 प्रतिशत कश्मीरी हिन्दुओं ने पलायन किया था।