कर्नाटक में हिजाब पर विवाद नहीं थम रहा। हिजाब पहनने को लेकर कर्नाटक के कॉलेज में संग्राम मचा हुआ है बता दें मुस्लिम छात्रा जहाँ क्लासरूम में हिजाब पहनने की इजाजत को लेकर हल्ला मचाए हुए है। तो वहीँ इसपर राजनीती भी क्या खूब हो रही है कांग्रेस हिजाब के समर्थन में मैदान में उतर चुकी है पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया (Siddaramaiah) के कॉलेजों में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने का समर्थन किया था जिसके बाद अब मैसुरु के सांसद प्रताप सिम्हा ने जमकर प्रहार किया है उन्होंने कहा, “सिद्धारमैया अपनी सुविधा के हिसाब से राजनीति करते हैं और सत्ता के लिए सिद्धारमैया अपना नाम बदलकर ‘सिद्दा-रहीम-अय्या’ भी कर सकते हैं।”
मुस्लिम छात्रों की मानसिकता को लेकर प्रताप सिम्हा ने आगे कहा, “आप हिजाब, बुर्का, पायजामा या फिर टोपी, जो आपको पसंद हो उसे पहन सकते हैं, लेकिन आप ये सब मदरसे में जाकर कर सकते हैं। शिक्षा प्रणाली नियमों के अनुसार चलती है, चाहे वह निजी संस्थान हों या फिर सार्वजनिक संस्थान। हर छात्र का फर्ज है कि वह ड्रेस कोड के नियमों का पालन करे।”
मैसुरु के सांसद ने आगे कहा, “अगर आप अभी भी शरिया कानून का पालन करने के इच्छुक हैं तो हमने आपको 1947 में एक अलग देश पहले ही दे दिया है। आप भारत छोड़ सकते थे। यदि आप यहाँ रहना चाहते हैं तो आपको इस देश के नियमों और शर्तों का पालन करना होगा। देश को धार्मिक आधार पर अलग किया गया था। तीन में से दो क्षेत्र एक ही समुदाय को दिए गए थे। आप तब उन देशों में जा सकते थे।
अभी आप लोग यहाँ क्यों हो?” शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा और अन्य हिंदू त्योहारों को मनाने के मुद्दे पर प्रताप सिम्हा ने जोर देकर कहा कि वर्तमान भारत अंग्रेजों का गुलाम नहीं है, यह आजाद भारत है। हिन्दू धर्म भारत का सबसे बड़ा और मूल धार्मिक समूह है।
उन्होंने कहा, “क्या हिंदू अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं का पालन करने के लिए मक्का, मदीना, बेथलहम की यात्रा करते हैं?” प्रताप सिम्हा ने कहा कि भारत हिंदू मूल्यों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है।
इस्लाम और ईसाई धर्म वाले यहाँ शरण लेने के लिए दूर-दूर से आए हैं, इसलिए वे इस भूमि की संस्कृति और परंपराओं पर सवाल नहीं उठा सकते हैं। सिम्हा ने कड़े शब्दों में कहा, “इस्लाम और ईसाई धर्म के लोग इस धरती पर विदेशी हैं। इस्लामिक आक्रमणकारियों ने 700 से अधिक सालों से हम पर इस्लाम मजहब थोपने की कोशिश की है। हालाँकि, हम मजबूती के साथ अपने धर्म के साथ जुड़े रहे हैं।”