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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र नहीं जा सकेंगे सेना, शास्त्री की डिग्री नहीं मानी जाएगी स्नातक... कथित सेक्यूलरिज्म से झुलस रही आर्मी ?

कुलपति ने बताया कि इस संबंध में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से दोबारा मिलने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध संस्कृत विश्वविद्यालय संघ के संयोजक व पाणिनी वैदिक संस्कृत विश्वविद्यालय (उज्जैन)के कुलपति प्रो. विजय कुमार मेनन से वार्ता भी हुई है।

Shanti Kumari
  • Feb 3 2022 10:24AM

कथित सेक्यूलरिज्म के नाम पर स्वतंत्रता के बाद से ही भारत की सभ्यता, संस्कृति, संस्कार व परंपराएं आदि पर हमले किए जा रहे हैं, उन्हें ध्वस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो हिंदुस्थान के आम जनमानस को हिंदू धर्म की जड़ों से ही काटने के षड्यंत्र रचे जा रहे हैं। अब भारतीय सेना की तरफ से एक ऐसा निर्णय लिया गया है, जिसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिंद की सेना भी कथित सेक्यूलरिज्म की आग में झुलसने लगी है

खबर के मुताबिक, भारतीय सेना ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय को योग्यता सूची से बाहर कर दिया है। भारतीय सेना अब शास्त्री की डिग्री को स्नातक समकक्ष मानने को तैयार नहीं है संस्कृत भाषा, जो अखिल विश्व की सबसे प्राचीन भाषा है, जो सभी भाषाओं की जननी है, उस संस्कृत भाषा का अध्ययन करने वाले छात्र इस निर्णय के बाद अब सेना में नहीं जा सकेंगे
 इसे लेकर विश्वविद्यालय व विद्यालयों के शिक्षकों व छात्रों में जबर्दस्त रोष है।

आपको बता दें कि इस प्रकरण को कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने गंभीरता से लिया है। इस क्रम में उन्होंने बुधवार को जूम एप देश के 18 संस्कृत विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की आनलाइन बैठक बुलाई थी। इस दौरान कुलपति ने कहा कि रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी योग्यता सूची में बेंगलुरु,,चेन्नई, दानापुर, जबलपुर, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, पुणे, शिलांग, नेपाल, दिल्ली सहित अन्य जोनों के माध्यमिक विद्यालयों के नाम हैं।

वहीं संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मध्यमा स्तर का नाम गोल है। जबकि विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश को छोड़ कर देश के अन्य राज्यों में अब भी मध्यमा स्तर की परीक्षा कराता है। हाईस्कूल का सर्टिफिकेट पूर्व मध्यमा व इंटर का उत्तर मध्यमा के नाम पर अंकपत्र व प्रमाणपत्र जारी किया जाता है। कहा कि इसकी जानकारी अखिल भारतीय संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ (हरियाणा)  के पत्र से हुआ है।

आज इस आशय का (भर्ती बोर्ड) सेना के महानिदेशक को एक पत्र प्रेषित किया जा रहा है जिससे अपने अध्यादेश मे संशोधन सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों सहित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के विद्या धर्म दर्शन संकाय के शास्त्री उपाधि को भी विज्ञापन मे शामिल किया जाय। इसे देखते हुए सेना के महानिदेशक को एक पत्र भेजा गया है। इसमें धर्मगुरु में विज्ञापन संशोधित कर देश के सभी संस्कृत विश्वविद्यालयों की शास्त्री की उपाधिधारक अभ्यर्थियों को शामिल करने की मांग की गई है।

कुलपति ने बताया कि इस संबंध में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से दोबारा मिलने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध संस्कृत विश्वविद्यालय संघ के संयोजक व पाणिनी वैदिक संस्कृत विश्वविद्यालय (उज्जैन)के कुलपति प्रो. विजय कुमार मेनन से वार्ता भी हुई है।


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