बिहार में प्रतियोगी परीक्षाओं में धाँधली का आरोप लगाते हुए छात्रों ने 26 जनवरी 2022 को हिंसक प्रदर्शन करने को उतारू हो गए थे। छात्रों ने रेलवे विभाग को भारी नुकसान पहुंचाया था। रेलवे यार्ड में खड़ी कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था। बिहार के छात्रों को भड़काने के आरोप में पटना के छह कोचिंग संस्थानों के संचालको पर FIR दर्ज की गई थी। बिहार के चर्चित, खान सर के भी नाम FIR दर्ज हैं। उनका एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने छात्रों से 28 जनवरी 2022 को किसी भी विरोध-प्रदर्शन में शामिल न होने की अपील की हैं। विडियो में छात्रों को खान सर बता रहे हैं कि उनकी माँगों का समाधान हो चुका हैं। अब छात्रों की आड़ में अन्य लोग भी उपद्रव कर सकते हैं, जिसके परिणाम छात्रों को ही भुगतने पड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि आज विपक्षी दलों ने भी बिहार बंद का आह्वान किया है।
आपको बता दें बिहार में बवाल के बाद 6 कोचिंग संस्थानों के संचालको पर FIR दर्ज की गई थी। यह केस पटना के पत्रकार नगर थाने में दर्ज किये गये है। इन सभी कोचिंग संस्थानों के संचासको पर छात्रों को उकसाने और भड़काने का आरोप है।
FIR दर्ज होने के बाद से ही खान सर गायब हैं। उनके नंबर भी बंद आ रहे हैं। खान सर का पटना स्थित कोचिंग संस्थान ‘Khan GS Research Centre’ पर भी ताला लगा हुआ है। पुलिस का दावा है कि राजेंद्र टर्मिनल पर हंगामा करने वाले 4 छात्रों ने खान सर का नाम उकसाने वालों में लिया है। खान सर के अलावा एसके झा सर, नवीन सर, अमरनाथ सर, गगन प्रताप सर, गोपाल वर्मा सर, आदि के नामजद FIR दर्ज की गई हैं।
जानकारी दें कि पत्रकारों के साथ बातचीत में नगर थाने के SHO ने कहा, “इस केस में पुलिस कोई जल्दबाजी नहीं कर रही। जो भी नाम प्रकाश में आए हैं वो छात्रों से पूछताछ के बाद आए हैं। खान सर कहाँ हैं, ये अभी नहीं पता। हमारा मुख्य मकसद लॉ एन्ड आर्डर सामान्य बनाए रखना है।”
दरअसल वीडियो में खान सर बोल रहे हैं, “गलती रेलमंत्री या पीएम की तरफ से नहीं थी। कुछ चीजों की कमी के कारण गलती आरआरबी से हुई थी। उसे इतने बड़ा एग्जाम कराने के लिए कोई कंपनी जल्दी नहीं मिल रही थी। कुछ लोग कह रहे हैं कि कुछ राज्यों में चुनाव के कारण ऐसा हो रहा है। ये सब कहना गलत है। ये किसी छात्र या टीचर का बयान नहीं है। ये राजनीतिक बयान है। रेलवे को इसलिए छात्रों की बात माननी होगी, क्योंकि यह संशोधन हुआ है और जो कमेटी बनाई गई है। यह आरआरबी का फैसला नहीं है। इसमें रेल मंत्रालय और पीएमओ शामिल है। ऐसे में कोई भी छात्र 28 जनवरी को हिंसक प्रदर्शन में शामिल न हो। जब कोई भी छात्र प्रोटेस्ट करेगा, तो उसकी आड़ में अन्य लोग हिंसा और आगजनी जैसी घटना को नया मोड़ दे सकते हैं। और इसका शिकार छात्र ही होंगे ”