अलौकिक, अद्भुत और अविश्वनीय - काशी के बाबा विश्वनाथ को तंग गलियों और चारो तरफ से बंद दीवारों से मुक्त करके एक भव्य कॉरिडोर की सौगात देने में सूबे की भाजपा सरकार ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो सीधे तौर पर भाजपा सरकार के लिए तारीफ का विषय जरूर है। काशी को विश्व के महानतम तीर्थस्थलों में शामिल करने की भाजपा की इस उम्मीद को ये काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नई उचाइयां अवश्य देगा।
लेकिन बाबा के इस दरबार को चारो तरफ से तंग गलियों और 400 मकानों ने घेर रखा था, जिससे ये जीर्णोद्धार होना लगभग असंभव सा लग रहा था। लेकिन संभव को संभव बना कर काशी और देश को जो अलौकिक तोहफा मिला है वो स्वाभाविक रूप से बहुत बहतरीन है। लेकिन आखिर कोरोना की दो लहरों के बावजूद काशी का ये नवीनतम रूप कैसे बनकर तैयार हुआ और क्या क्या है इसमें ख़ास, जानिये यहाँ।
32 महीने में तैयार हुआ श्री काशी विश्वनाथ धाम
सन् 1669 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरोद्धार कराया था. उसके लगभग 350 वर्ष बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरोद्धार के लिये 8 मार्च, 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर का शिलान्यास किया था. शिलान्यास के लगभग 2 साल 8 महीने बाद इस ड्रीम प्रोजेक्ट के 95 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया है. माना जा रहा है कि इस पूरे कॉरिडोर के निर्माण में 340 करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं. पूरे कॉरिडोर को लगभग 50,000 वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर में बनाया गया है. इसका मुख्य दरवाज़ा गंगा की तरफ़ ललिता घाट से होकर है.
घाटों से होगा कनेक्ट
बता दें, 2019 में पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) का शिलान्यास किया था. 55 हजार वर्गमीटर में फैले इस कॉरिडोर के निर्माण में करीब 600 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. काशी विश्वनाथ सीधे तौर पर मणिकर्णिका घाट, ललिता घाट और जलासेना घाट से सीधा जुड़ा है.
इन घाटों पर आस्था की डुबकी लगाने के बाद भक्त सीधे बाबा विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए गुजरेंगे जो नजारा बेहद भव्य होगा. तराशे गए मकराना मार्बल से लेकर सात तरह के पत्थरों से कॉरिडोर को भव्य रूप दिया जा रहा है.
16 लाख लड्डुओं के प्रसाद घर-घर बाँटे जाएंगे
लोकार्पण के इस कार्यक्रम में पूरे देश से तीन हज़ार से अधिक विशिष्ट मेहमान शिरक़त कर रहे हैं. इसमें बीजेपी शासित प्रदेशों के सभी मुख्यमंत्रियों के अलावा, सांसदों और विधायकों को बुलाया गया है. इन्हें पूरे देश से आ रहे साधु-संतों की अगवानी करने की ज़िम्मेदारी दी गई है
. बनारस में एक महीने का उत्सव भी मनाया जाएगा जिसका नाम "भव्य काशी-दिव्य काशी" रखा गया है. इस कार्यक्रम से बनारस का कोई भी परिवार या शख़्स वंचित न रह जाये, इसके लि्ए 16 लाख लड्डुओं को प्रसाद के लिए बनवाया जा रहा है. इसे कार्यकर्ता लोगों के घरों तक पहुँचायेंगे. इसके साथ ही लोगों को एक स्मारिका भी दी जाए