राज्यसभा चुनाव को लेकर भाजपा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ चुकी है। दरअसल इस समय उत्तर प्रदेश में दो राज्यसभा की सीटें खाली हैं जिनमें से एक सीट पर 24 अगस्त को उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी के नेता बेनी प्रसाद वर्मा के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी इस सीट पर किसको राज्यसभा भेजा जाता है यह सवाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बेनी प्रसाद वर्मा के बाद अमर सिंह का भी निधन हो चुका है अतः राज्यसभा की एक और सीट खाली हो चुकी है। राज्यसभा की चुनाव प्रक्रिया के अनुसार उप चुनाव वाली इन सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार की जीत तय है इसलिए बड़ा सवाल यह है कि भाजपा इस सीट पर प्रदेश के किसी नेता को भेजती है या फिर दूसरे राज्य के किसी नेता को यहां से राज्यसभा बीच कर केंद्रीय समायोजन किया जाएगा।
पहले भी यूपी से भेजे गए है दूसरे प्रदेशों के नेता -
2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राज्य भाषा सीटों से दूसरे राज्यों के नेताओं को दिल्ली भेज कर उनका समायोजन किया जाता रहा है इस सूची में मनोहर पारिकर, अरुण जेटली, हरदीप पुरी और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव प्रमुख है। भाजपा ने 2014 के बाद जिन लोगों को राज्यसभा भेजा उनके नाम चौंकाने वाले रहे थे। इनमें से अधिकतर लोगों की जमीनी पकड़ ना होकर केंद्र के नेताओं से नज़दीकियां थी। सपा के संजय सेठ, नीरज शेखर और सुरेंद्र सिंह नागर जैसे सदस्यों को भाजपा के राज्यसभा में विपक्ष के बहुमत की सियासी गणित गड़बड़ करने में सहयोग देने के मद्देनजर उस पार्टी से लाकर अपनी पार्टी से राज्यसभा में इस दिया गया। इसी तरह डॉ अनिल अग्रवाल, सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजकर सियासी गणित साधा गया था। ऐसे में राज्यसभा के दावेदारों में किसी खास चेहरे का अनुमान लगाना मुश्किल है।