महराष्ट्र में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मराठी साहित्य सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है लेकिन इस बार यह सम्मलेन विवादों से घिरता नजर आ रहा सम्मलेन में वीर सावरकर को जगह नहीं देने से भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस नाराज हैं और इसपर सवाल खड़े कर रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, वह हमारे लिए एक आदर्श हैं और अगर हमारे आदर्शों का सम्मान नहीं किया जाता है, तो हमें वहां जाने की जहमत क्यों उठानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने साहित्यिक बैठक के स्थान का नाम कुसुमागराज रखने के निर्णय का स्वागत किया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मराठी कवि स्वर्गीय वीवी शिरवाडकर ने 'कुसुमागराज' नाम से कविता लिखी थी।हम आयोजन स्थल का नाम कुसुमाराज के नाम पर रखने के निर्णय का स्वागत करते हैं।
लेकिन ऐसा लगता है कि उनके नाम का इस्तेमाल केवल सावरकर के नाम पर संभावित मांग का मुकाबला करने के लिए किया गया। भाजपा नेता ने कहा कि सावरकर सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। उन्होंने निबंध, नाटक, कविता की रचना की थी, वह व्याकरण के विद्वान और इतिहासकार थे और मराठी में कई नए शब्द पेश किए थे।
भाजपा नेता ने कहा, ''सावरकर सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। उन्होंने निबंध, नाटक, कविता की रचना की। वह व्याकरण के विद्वान, इतिहासकार थे। उन्होंने मराठी में कई नए शब्द पेश किए। फडणवीस ने यहां संवाददाताओं से कहा कि सावरकर ने मराठी साहित्य सम्मेलन और मराठी रंगमंच सम्मेलन दोनों की अध्यक्षता की थी और वह मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। भाजपा नेता ने कहा, ''वह शायद एकमात्र व्यक्ति होंगे, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की, फिर भी पूरे आयोजन से उनका नाम गायब है।''