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जगतगुरु शंकराचार्य का हिन्दुओं से आवाहन ... हिन्दू राष्ट्र के खातिर ''हर हिन्दू एक घंटे एक रुपए रोज दें''

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 80 फीसदी हिंदू एकजुट हैं। शेष 20 फीसदी हिंदुओं को जागरूक करने का लक्ष्य है। इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन एक रुपया और एक घंटा निकालने का रास्ता सुझाया। कहा कि इस दौरान एकत्र होने वाले रुपयों को अपने क्षेत्र के विकास में लगाएं।

Prem Kashyap Mishra
  • Nov 26 2021 7:33PM

गोवर्धनमठ पुरी के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने हिंदू राष्ट्र निर्माण को लेकर हिन्दुओं से आवाहन किया है। उन्होंने हिन्दू राष्ट्र की बात दोहराते हुए कहा कि इसके लिए सभी प्रतिदिन एक रुपया, एक घंटा निकालें।  वह गुरुवार को नारायण पादुका पूजन कार्यक्रम में बोल रहे थे। सिविल लाइंस में राजन एन्क्लेव स्थित निर्यातक विनय लोहिया के आवास पर हुए इस आयोजन में मौजूद लोगों ने धर्म, राष्ट्र और अध्यात्म से जुड़ी कई जिज्ञासाएं उनके समक्ष रखीं। क्रमवार सामने आए सवालों का उन्होंने गहराई से जवाब दिया। 

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 80 फीसदी हिंदू एकजुट हैं। शेष 20 फीसदी हिंदुओं को जागरूक करने का लक्ष्य है। इसके लिए उन्होंने प्रतिदिन एक रुपया और एक घंटा निकालने का रास्ता सुझाया। कहा कि इस दौरान एकत्र होने वाले रुपयों को अपने क्षेत्र के विकास में लगाएं। उन्होंने कहा कि कम से कम दस परिवार भी एक साथ बैठते हैं और धर्म-आध्यात्म पर चर्चा करते हैं, तो इससे न सिर्फ उनके ज्ञान में विकास होगा, बल्कि वह दूसरों को भी प्रेरित करेंगे।

ऐसा होने से कोई भी बाहरी शक्ति सनातन धर्म के अनुयायियों को भ्रमित नहीं कर पाएगी। इससे हिंदू राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त होगा। राजनीति में शुचिता के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि शुचिता की आधारशिला जागरूकता है। यहां की चुनावी प्रक्रिया बहुत जटिल है। टिकट लेने से लेकर चुनाव जीतने तक में काफी रुपये खर्च हो रहे हैं।उन्होंने कहा कि राजनीति में ही नहीं, अन्य विषयों में भी शुचिता लाने की जरूरत है। रा

जनीति में महंगा खर्च होने की वजह से गिरावट आयी है।मन्त्रों की शक्ति के एक सवाल के जवाब में शंकराचार्य ने कहा कि मंत्र तारक भी होते हैं और मारक भी। अयोग्य व्यक्ति को यदि मंत्र दे दिया जाए तो वो उसके प्रभाव को सहन नहीं कर पायेगा और विक्षिप्त अवस्था में पहुंच सकता है। 

ऐसे में चुने हुए जनप्रतिनिधि से शुचिता की उम्मीद करना बेमानी होगी। लोकतंत्र के नाम पर उन्माद है। जनता के हित में कानून बनता है, तो भीड़तंत्र की वजह से प्रधानमंत्री को माफी मांगकर वह वापस लेना पड़ता है। राजनीति में शुचिता के लिए व्यक्तित्व, मेधा और सेवा के बल पर चुनाव होना जरूरी है। आयोजन की शुरुआत मंत्रोच्चार और शंखनाद के बीच हुई। इस दौरान ने नारायण पादुका के दर्शन किए। स्तुति पूर्ण होने पर प्रसाद ग्रहण किया।

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