केंद्र सरकार जल्द ही हुर्रियत कांफ्रेंस को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत एक "गैरकानूनी संगठन" के रूप में प्रतिबंधित कर सकती है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को संरक्षण देने पर तथा आतंकियों के साथ कथित संलिप्तता को प्राथमिक आधार के रूप में शामिल किया गया है। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि गृह मंत्रालय आने वाले दिनों में UAPA की धारा 3(1) के तहत हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी गुटों को गैरकानूनी घोषित करने पर अंतिम फैसला लेगा जिसमें उदारवादी हुर्रियत और तहरीक-ए-हुर्रियत शामिल हैं, जिसका नेतृत्व कभी दिवंगत कट्टरपंथी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के हाथों में था।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और NIA ने पहले ही हुर्रियत को 'गैरकानूनी संगठन' के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए केंद्र को इनपुट दिया था लेकिन गृह मंत्रालय ने अतिरिक्त इनपुट और डेटा मांगा था। सूत्रों ने बताया कि स्पष्टीकरण और अतिरिक्त जानकारी अब जमा कर दी गई है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी गुटों और मोर्चों प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया जाएगा।
आपको बता दें कि हाल के वर्षों में हुर्रियत नेतृत्व के खिलाफ कई आतंकी मामले लगाए हैं, जिसके बाद कश्मीर घाटी में हुर्रियत कांफ्रेंस की उपस्थिति और गतिविधियों में भारी गिरावट देखी गई है। एक अधिकारी ने बताया कि UAPA प्रतिबंध के साथ, हुर्रियत कांफ्रेंस द्वारा कथित तौर पर नियोजित आतंकी फंडिंग मार्गों को बंद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार प्रतिबंध लगने के बाद हुर्रियत और उसके सभी गुटों को अपने कार्यालयों और बुनियादी ढांचे को खत्म करना होगा।
आगेयह भी बताया गया है कि यूएपीए के तहत बैन लगाने से टेरर फंडिंग के साथ ही हुर्रियत द्वारा जिन रास्तों से फंडिंग की जाती है, उसे भी रोका जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि हुर्रियत पाकिस्तान के कॉलेजों में अपने कोटे से मेडिकल सीटों की बिक्री करता है और उससे मिलने वाले पैसे को कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करता है। बैन लगाने के बाद हुर्रियत को अपने सभी कार्यालयों और बुनियादी ढाँचे को तोड़ना होगा।
इसके अलावा उसके द्वारा बुलाए जाने वाले बंद और विरोध को अवैध हो जाएँगे। सरकार हुर्रियत के खिलाफ बैन करने का फैसला करने के बाद आधिकारिक राजपत्र में इसकी घोषणा करेगी। इसके बाद, इस फैसलों को यूएपीए के तहत गठित समिति द्वारा मंजूरी देनी होगी।