महंत नरेंद्र गिरि के मौत के बाद पुनः किसी को अखाड़े का अध्यक्ष बनाना एक बहुत बड़ा मुद्दा बन गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा था। इसके लिए काफी दिनों से जोड़तोड़ चल रही थी और अखाड़ों को अपने पक्ष में करने की जोरआजमाइश की जा रही थी। बता दें अखाड़ा परिषद के संरक्षक महंत हरि गिरि की ओर से निर्मल अखाड़ा प्रयागराज में परिषद की बैठक बुलाई गई थी जिसमें रवींद्र पुरी महाराज को अखाड़े का नया अध्यक्ष चुना गया है।
आपको बता दें कि अखाड़े की परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के संत का निधन होता है और वह परिषद में पदाधिकारी होता है तो उस अखाड़े से जो नाम दिया जाता है उसे ही उस पद पर कार्यकाल पूरा होने तक बैठाया जाता है। इसके अनुसार ही अध्यक्ष पद पर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी का नाम सबसे ऊपर था। बताया जा रहा है प्रयागराज में सोमवार को दारागंज निरंजनी अखाड़े में हुई बैठक में महंत रवींद्र पुरी को मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से सात ने बहुमत से फैसला लेते हुए नया अध्यक्ष चुना गया।
जूना अखाड़े के सभापति महंत प्रेम गिरि भी जूना अखाड़े से अध्यक्ष बनाने की बात कह चुके थे। हालांकि उन्होंने यह उस स्थिति में कहा था जब पूरा परिषद भंग हो जाए। पुरानी कार्यकारिणी चलने की दशा में नहीं। महंत रविन्द्रपुरी हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के aपीठाधीश्वर महंत रविंद्र पुरी महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव हैं। 35 साल पहले संन्यास लेकर वे महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल हुए थे।
रविंद्र पुरी 1998 के कुंभ मेले के बाद अखाड़े की कार्यकारिणी में शामिल हुए। 2007 में उन्हें अखाड़े का सचिव बनाया गया था। बताया जाता है कि महंत नरेन्द्र गिरि ने सभी अखाड़ों में व्यवस्था के लिए एक करोड़ रुपए अखाड़ों को दिलवाए थे लेकिन महंत रविन्द्र पुरी ने महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से सरकार का एक करोड़ रुपए का ऑफर ठुकरा दिया था।
हरिद्वार में संतों के एक धड़े ने परिषद का चुनाव कराकर नई कार्यकारिणी का ऐलान कर दिया है। जबकि परिषद महामंत्री महंत हरिगिरि ने पहले ही प्रयागराज में 25 अक्तूबर को बैठक का ऐलान किया था। हरिद्वार बैठक में सात अखाड़े एक साथ आए थे। इस वक्त 13 अखाड़ों में सात एक ओर हैं, जबकि छह अखाड़े एक साथ हैं। बताया जा रहा है कि सत्ता में रसूख रखने वाले निर्मल अखाड़े के संत व नेता लगातार प्रयागराज में होने वाली बैठक का समर्थन कर रहे हैं।