शरजिल इमाम जिसके ऊपर राजद्रोह से संबंधित अपराध, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, राष्ट्रीय एकता के प्रतिकूल आरोपों और भारतीय दंड संहिता के तहत सार्वजनिक शरारत और यूएपीए के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने का आरोप है.उसके जमानत याचिका को साकेत कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
साकेत कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ और भड़काने वाले भाषणों से जुड़े एक मामले में जेएनयू छात्र शरजील इमाम की जमानत याचिका खारिज कर दी है. इस पहले दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि यूएपीए के तहत राजद्रोह के एक मामले में गिरफ्तार जेएनयू छात्र शरजील इमाम ने अपने कथित भड़काऊ भाषणों के जरिए मुसलमानों में निराशा की भावना पैदा करने की कोशिश की थी.
आपको बता दें सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान शरजील इमाम का एक वीडिया वायरल हुआ था. वायरल हुए वीडियो में शरजील ने कथित तौर पर कहा था कि असम के लोगों की मदद करने के लिए इस हिस्से को भारत से काटना होगा. शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ चल रहे विरोध-प्रदर्शन के दौरान 15 दिसंबर, 2019 को यह भाषण दिया था. दिल्ली पुलिस ने भाषण से हिंसा भड़कने की बात कहते हुए शरजील को बिहार के जहानाबाद से 28 जनवरी, 2020 को गिरफ़्तार किया था. जेएनयू छात्र शरजील मूल रूप से जहानाबाद के काको के रहने वाले हैं.
दिल्ली पुलिस बीते साल इमाम के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। उन पर अवैध गतिविधियां (निवारण) कानून( यूएपीए), 124-ए (देशद्रोह), 153 (ए) (दुश्मनी को बढ़ावा देना), 153-ए (दुश्मनी को बढ़ावा देना, समुदायों के बीच घृणा फैलाना), 153-बी (राष्ट्रीय एकता के खिलाफ बयान) और 505 (अफवाह फैलाना) के आरोप हैं। पुलिस का कहना है कि इस केस की जांच कर रही टीम को शरजील इमाम के बारे में पता चला कि उसने मस्जिद के आसपास वाले इलाकों में भड़काऊ पोस्टर भी बटवाएं थे, इसका पता उस वक्त चला जब पुलिस ने शरजील इमाम का लैपटॉप चेक किया।