भारत के पड़ोसी देश और चिर प्रतिद्वंदी पकिस्तान की बेज्जती होना, वैश्विक स्तर पर बहिष्कार होना, और आतंकवाद के कारण दुनिया में थू-थू होना कोई नयी बात नहीं है। पाकिस्तान और उसके 'कटोरा' खान को अब इसकी आदत जरूर पड़ चुकी होंगी। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ, दरअसल FATF ने आतंकवाद को पनाह देने के कारण पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है, वही साथ ही साथ कश्मीर के मुद्दे पर पकिस्तान का साथ देने के कारण तुर्की को भी 'ग्रे लिस्ट' में डाला गया है।
गौरतलब है कि, एटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखा है। वहीं, पाकिस्तान के हम-दम दोस्त और धार्मिक गुरू तुर्की को भी एफएटीएफ ने ग्रे लिस्ट में शामिल कर लिया है। एफएटीएफ प्रमुख मार्कस प्लेयर ने कहा कि पाकिस्तान अब भी अतिरिक्त मॉनिटरिंग वाली ग्रे लिस्ट में मौजूद है। पाकिस्तान ने एफएटीएफ की 34 सूत्रीय एजेंडे में से 4 पर अबतक कोई काम नहीं किया है।
पाकिस्तान ने अभी एफएटीएफ के मानदंडों को पूरा नहीं किया है!
‘द न्यूज इंटरनेशनल’ द्वारा पेरिस से प्रकाशित एक खबर के अनुसार एफएटीएफ का तीन दिवसीय सत्र 19 से 21 अक्टूबर तक आयोजित किया जा रहा है। ऐसी संभावना है कि पाकिस्तान ने अभी एफएटीएफ के मानदंडों को पूरा नहीं किया है। खबर में जर्मन मीडिया संस्थान डायचे वेले के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि पाकिस्तान को ‘ग्रे सूची’ से हटाने का फैसला अप्रैल 2022 में आयोजित होने वाले एफएटीएफ के अगले सत्र में लिया जा सकता है।
2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था पाकिस्तान
पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी पाक को राहत नहीं मिली थी। पाक एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है। इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है।
तुर्की पर भी गंभीर आरोप
FATF ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में रखा है। तुर्की पर आरोप है कि उसने टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखने और कार्रवाई करने में लापरवाही की। उस पर 2019 से ही नजर रखी जा रही थी। उसने दिखावे के तौर पर कुछ कार्रवाई की, लेकिन यह पर्याप्त नहीं थी।
मार्कस प्लीयर ने कहा- हाई रिस्क सेक्टर में तुर्की को ज्यादा सख्त होना होगा। खास तौर पर बैंकिंग, कीमती पत्थर और रियल एस्टेट पर नजर रखनी होगी। यही मामले जॉर्डन और माली के साथ भी हैं। तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग केस सख्ती से डील करने होंगे। मोटे तौर पर देखें तो इमरान के कश्मीर राग में सुर मिलाने वाले तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।
जानिए क्या है FATF ?
एफएटीएफ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है, जो मनी लॉन्ड्रिंग और टैरर फंडिंग जैसे वित्तीय मामलों में दखल देते हुए तमाम देशों के लिए गाइडलाइन तय करती है और यह तय करती है कि वित्तीय अपराधों को बढ़ावा देने वाले देशों पर लगाम कसी जा सके।