पूरे विश्व का रुख इस समय अमेरिका पर है क्योंकि दुनिया के चार शक्तिशाली देश एक दूसरे के साथ मुलाक़ात कर रहे है और आपस में दुनिया के मुद्दों पर वार्ता भी कर रहे है। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका पहुंच कर अब तक उप राष्ट्रपति कमला हैरिस , जापान के राष्ट्रपति ,ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री और अमेरिका की शीर्ष 5 कम्पनियो के CEOs से शिखर वार्ता कर ली है, और आज पीएम को अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मुलाक़ात करनी है और "क्वॉड समिट" में हिस्सा भी लेना है। लेकिन उससे पहले सवाल उठता है की आखिर ये "क्वॉड" ही क्या। ......
क्या है क्वॉड ?
-क्वॉड यानी क्वॉड्रिलैटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग, चार देशों का समूह है
-इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान शामिल हैं।
-इन चारों देशों के बीच समुद्री सहयोग 2004 में आई सुनामी के बाद शुरू हुआ।
-क्वॉड का आइडिया 2007 में जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दिया था।
--हालांकि चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया ग्रुप से बाहर रहा।
-दिसंबर 2012 में शिंजो आबे ने फिर से एशिया के डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड का कॉन्सेप्ट रखा, जिसमें चारों देशों को शामिल कर हिंद महासागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर के देशों से लगे समुद्र में फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना था। आखिरकार नवंबर 2017 में चारों देशों का क्वॉड ग्रुप बना।
-इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के समुद्री रास्तों पर किसी भी देश, खासकर चीन के प्रभुत्व को खत्म करना है।
-आज ये चारों लोकतांत्रिक देश सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य के मुद्दों पर एक व्यापक एजेंडे के तहत काम करते हैं।
क्वॉड देशो से चीन को खास दिक्क्त....
अमेरिका की पॉलिसी पूर्वी एशिया में चीन को काबू करने की है। इसी वजह से वह इस ग्रुप को इंडो-पैसिफिक रीजन में फिर से प्रभुत्व हासिल करने के अवसर के तौर पर देखता है। यूएस ने तो अपनी नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटजी में रूस के साथ-साथ चीन को भी स्ट्रैटजिक राइवल कहा है।
ऑस्ट्रेलिया को अपनी जमीन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, पॉलिटिक्स में चीन की बढ़ती रुचि और यूनिवर्सिटीज में उसके बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता है। चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा है कि उसने चीन के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप जारी रखी है।
जापान पिछले एक दशक में चीन से सबसे ज्यादा परेशान रहा है, जो अपना अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के लिए सेना का इस्तेमाल करने से भी नहीं झिझक रहा। महत्वपूर्ण यह है कि जापान की इकोनॉमी एक तरह से चीन के साथ होने वाले ट्रेड वॉल्यूम पर निर्भर है। इस वजह से जापान चीन के साथ अपनी आर्थिक जरूरतों और क्षेत्रीय चिंताओं में संतुलन साध रहा है।
भारत के लिए चीन की बढ़ती सैन्य और आर्थिक ताकत स्ट्रैटजिक चुनौती है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर कब्जा कर लिया है और वहां मिलिट्री असेट्स विकसित किए हैं। चीन हिंद महासागर में ट्रेड रूट्स पर अपना प्रभुत्व बढ़ाने की कोशिश भी कर रहा है, जो भारत के लिए चिंता बढ़ाने वाला है।
इस बार की समिट का एजेंडा क्या होगा?
इस समिट के पहले 12 मार्च को क्वॉड की वर्चुअल बैठक हुई थी। उस बैठक में तय हुए एजेंडे पर इस बार की बैठक में बात होगी। इसके अलावा कोविड-19, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीकें, साइबरस्पेस और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को मुक्त रखने जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर फोकस किया जाएगा। 12 मार्च को हुई पिछली वर्चुअल मीटिंग में चारों देशों ने कोरोना वैक्सीन बनाने के लिए अपने संसाधनों को साझा करने पर सहमति जताई थी। इसका मतलब यह है कि चारों देशों के पास वैक्सीन बनाने की जो क्षमताएं हैं, उन्हें और बढ़ाया जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि US इंडो पैसिफिक में सभी सहयोगियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा था कि अमेरिका क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों से निपटने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए एक नया मैकेनिज्म लाने जा रहा है।