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कानून के लपेटे में आया बच्चे से 'मेरा यीशु यीशु' करवाने वाला पादरी.. NCPCR ने लिया एक्शन

कहा जा रहा है कि ईसाई मिशनरी कार्यक्रम में बच्चे के साथ ‘मेरा यशु यशु’ गाना स्पष्ट रूप से ईसाई धर्मांतरण के लिए एक ‘औजार’ जैसा लगता है

Abhay Pratap
  • Aug 31 2021 9:48AM

पिछले कुछ समय से सोशल मीडिया पर 'मेरा यीशु यीशु' नाम से जमकर मीम बनाए जा रहे हैं. इसकी शुरुआत तब हुई जब एक ईसाई मिशनरी कार्यक्रम का एक एक वीडियो वायरल हुआ. वायरल हुए इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक मासूम बच्चा रजता हुआ दिखाई दे रहा है. तभी उस बच्चे से पादरी पूछता है कि क्या उसकी बहन पहले बोल सकती थी? लड़का ‘नहीं’ में जवाब देता है.

इसके बाद पुनः बच्चे से पूछा जाता है कि क्या वह अब बोल सकती है? इस बार बच्चा कहता है कि हां अब वह बोल सकती है. तभी बैकग्राउंड में गाना बजता है "मेरा यीशु यीशु". ये वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर जमकर मीम बनाए गए हैं. लोग अलग अलग तरह से "मेरा यीशु यीशु" को एड करके मीम बना रहे हैं. लेकिन अब इस मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है.

खबर के मुताबिक, अब इस वीडियो पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग NCPCR ने संज्ञान लिया है. NCPCR ने कहा कि उन्हें एक वीडियो का ट्विटर लिंक मिला है, जिसमें पादरी बजिंदर सिंह को एक नाबालिग लड़के के साथ विचित्र अंधविश्वास का कारनामा करते हुए देखा जा सकता है. वीडियो में बच्चे को रोते हुए देखा जा सकता है. इसमें बच्चे और पादरी दोनों की बॉडी लैंग्वेज काफी असामान्य लग रही है. बता दें कि ऐसे अंधविश्वास के द्वारा मिशनरियां धर्मांतरण की फैक्ट्री चलाती रही हैं. सुदर्शन न्यूज धर्मांतरण के ऐसे ठेकेदारों की साजिशों का हमेशा से पर्दाफाश करता रहा है.

NCPCR ने अपनी जांच में पाया कि यह वीडियो सोशल मीडिया में पादरी बजिंदर सिंह के नाम से उपलब्ध है. बजिंदर सिंह THE CHURCH OF GLORY AND WISDOM में पादरी है. यह चर्च चंडीगढ़ में स्थित है. NCPCR ने अपने बयान में कहा है कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि यह वीडियो अंधविश्वास को बढ़ावा देने के लिए फैलाया जा रहा है और इसके लिए नाबालिग बच्चे का इस्तेमाल करना किशोर न्याय अधिनियम 2015 का उल्लंघन है.

इसके अलावा वीडियो में कार्यक्रम के दौरान किसी ने मास्क भी नहीं पहना है, जो कि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए कोविड प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. आयोग ने CPCR एक्ट, 2005 की धारा 13 (1) (j) के तहत संज्ञान लिया है. आयोग ने इस संबंध में चंडीगढ़ के डिप्टी कमिश्नर को मामले की जाँच कर 7 दिनों के भीतर इस संबंध में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने करना अनुरोध किया है.

सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि ईसाई मिशनरी कार्यक्रम में बच्चे के साथ ‘मेरा यशु यशु’ गाना स्पष्ट रूप से ईसाई धर्मांतरण के लिए एक ‘औजार’ जैसा लगता है. लोगों का कहना है कि इस अंधविश्वास की आड़ में पादरी लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसा रहा है. कई लोग इसकी आलोचना कर रहे हैं तो कई इस पर मीम भी बना रहे हैं. अब इस मामले में NCPCR ने एक्शन लिया है तथा पादरी आए जवाब मांगा है.

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