कश्मीर घाटी में तालिबानी आतंकी और पाकिस्तान मिलकर कश्मीर में दहशत फैलाने की फिराक में है. जिसके बाद सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. बीते महीनो से ही सीमाओं पर सुरक्षा तेज है. सुरक्षा एजेंसी ने सबको सतर्क रहने की हिदायत दी है. सुरक्षा एजेंसियां इस बात को लेकर सबको आगाह कर रही है कि पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई तालिबान को दी गई मदद के एवज में कश्मीर में तालिबानी आतंकियों की घुसपैठ करा सकती है।
सूत्रों का कहना है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन जो पाकिस्तान-अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाके में जमे हैं, तालिबान के आने से पूरे क्षेत्र में अपना ठिकाना बना सकते हैं। साथ ही पहले से जो आतंकी मौजूद हैं, उनकी कश्मीर में घुसपैठ कराने की कोशिश तेज होगी।
सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि 'अफगानिस्तान में मौजूदा हालात का असर कश्मीर पर क्या हो सकता है, इसका आकलन विभिन्न स्रोतों से मिले इनपुट के आधार पर किया जा रहा है। सबसे बड़ी चिंता यही है कि कश्मीर में तालिबान के आतंकी घुसपैठ न कर पाएं। क्योंकि कई खुफिया इनपुट से यह निश्चित है कि आईएसआई ने तालिबान लड़ाकों को मदद दी है और वे इनकी मदद लेना भी चाहते हैं। भारत ने अपनी इस चिंता को विश्व के कई देशों के साथ ठोस इनपुट के आधार पर साझा किया है'।
अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि 'तालिबान आतंकी के एक समूह को आईएसआई ने कश्मीर में लड़ाई के लिए ट्रेनिंग दी है। उन्हें घाटी की भौगोलिक परिस्थिति और नक्शे आदि की जानकारी पिछले कई महीनों से दी जा रही है। बता दें कि सुरक्षाबल तालिबान को ज्यादा खतरनाक मानते हैं। अफगानिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद ने तालिबान की मदद की है और बदले में वे कश्मीर में उनकी मदद चाहते हैं। ये अचानक नहीं हुआ है, बल्कि पिछले एक साल से इसकी तैयारी चल रही है'।
अधिकारी का कहना है कि 'तालिबान के कब्जे के पहले ही भारतीय एजेंसियो के साथ अफगान एजेंसियों ने जैश और तालिबान की खतरनाक योजना का पता लगाया था। लेकिन यह गठजोड़ अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद ज्यादा खतरनाक हो गया है। सुरक्षाबल सीमा पर पूरी तरह से मुस्तैद हैं। घुसपैठ रोकने के लिए उच्च स्तर की सतर्कता बरती जा रही है।