भारत और पाकिस्तान में आतंकवाद को लेकर मतभेद हमेशा से ही बने हुए हैं जहाँ पाकिस्तान ने हाफिज के घर के पास हुए हमले की जिम्मेदारी भी भारत के इलाज़ लगा दी जिसका भारत ने भी मुँह तोड़ जवाब दिया और कहा कि पाकिस्तान पहले अपना अपना घर देखे। वहीँ बीते दिनों एक नया मामला सामने आया जिसे अत्तंकवादी से भी जोड़ कर देखा जा रहा है बता दें कि एक पड़ताल में यह सामने आया कि केरल की चार युवतियां अफगानिस्तान की जेल में हैं।
ये चार युवतियां वही हैं, जो मतांतरण के बाद मुस्लिम बनीं। माना जाता है कि इनके मतांतरण की वजह ऐसे मुस्लिम युवकों से संबंध रहे जो आइएसआइएस से जुड़े थे या फिर उससे प्रभावित थे। ये युवतियां उन्हीं के साथ अफगानिस्तान गई थीं। जहाँ मतांतरण के बाद ये सभी युवतियां आइएसआइएस यानी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया में शामिल होने के लिए अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत गईं और फिलहाल वहां की जेल में बंद हैं। लव जिहाद हमारे देश में अनेक स्वरूपों में सामने आ रहा है।
वहीँ अफगानिस्तान जेल में बंद होने के बाद अब उनके परिवार वालो ने भारत सरकार से यह गुहार लगाई है कि उन्हें वापस लाया जाए. मतांतरित युवतियों में से एक निमिषा उर्फ फातिमा की मां के द्वारा केरल हाई कोर्ट में अपनी बेटी को वापस लाने के लिए याचिका दायर की गई है। वहीं, अफगानिस्तान की सरकार भी इन युवतियों को वापस भेजने के लिए तैयार है।
इन संगठनों में शामिल युवतियों को ‘जिहादी ब्राइड्स’ कहा जाता है। मतांतरण के बाद आइएस के लड़ाकों से विवाह करने वाली केरल की चार युवतियां परिस्थितिजन्य कारणों से वर्तमान में अफगानिस्तान की जेल में बंद हैं। हालांकि, इनके पतियों की मौत हो चुकी है और अब इन युवतियों ने वतन वापसी की इच्छा जताई है, जिस पर विचार भी किया जा रहा है, लेकिन इस मामले में भारत सरकार को बहुत ही सोच-समझकर निर्णय लेना होगा, क्योंकि संबंधित फैसले से भविष्य में हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रभावित होने की आशंका बनी रह सकती है।
ऐसा देखा गया है कि अधिकांश युवतियों के आइएस में शामिल होने की मुख्य वजह प्रेम संबंध और विवाह से जुड़े हैं।दरअसल इस मामले का एक पहलू यह भी है कि आइएस से इनका जो भी जुड़ाव रहा, वह मुस्लिम युवकों से उनके संबंधों के कारण ही रहा। बता दें कि यह मामला आतंकवाद, चरमपंथ, नागरिकता और भावना आदि कई तथ्यों से जुड़ा हुआ है, लिहाजा इन युवतियों की वापसी पर पूरे देश में बहस छिड़ गई है।आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए यूरोप और अमेरिका जैसे महाद्वीपों में भी वर्ष 2001 के बाद से आकर्षण बढ़ता हुआ देखा जा सकता है। इन संगठनों में शामिल युवतियों को ‘जिहादी ब्राइड्स’ कहा जाता है। ऐसा देखा गया है कि अधिकांश युवतियों के आइएस में शामिल होने की मुख्य वजह प्रेम संबंध और विवाह से जुड़े हैं।
समाज का एक तबका जहां इन युवतियों को वापस लाकर भारतीय कानून के तहत कार्रवाई करने का पक्षधर है, वहीं दूसरी ओर एक वर्ग तो इन्हें वापस लाने के ही विरोध में है। ‘द सूफन सेंटर’ की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप से बड़ी संख्या में लोग लड़ाकों के रूप में आइएस में शामिल हुए। इनमें सबसे ज्यादा संख्या में मध्य एशिया से शामिल हुए। आतंकवादी संगठनों में शामिल होने के लिए यूरोप और अमेरिका जैसे महाद्वीपों में भी वर्ष 2001 के बाद से आकर्षण बढ़ता हुआ देखा जा सकता है।
देखा जाए तो यह एक वैश्विक परिघटना के भारतीय पक्ष को दर्शाता है। कट्टरता का समर्थन और उसके अनुपालन के लिए आतंकवादी गतिविधियों और संगठनों में शामिल होने के उदाहरण विश्व के लगभग सभी देशों में मौजूद हैं। वर्ष 2015 में करीब 85 देशों के 30 हजार लोग आइएसआइएस में शामिल हुए। ‘द सूफन सेंटर’ की 2017 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप से बड़ी संख्या में लोग लड़ाकों के रूप में आइएस में शामिल हुए।