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मुसलमान बनकर इस्लामिक आतंकी दल ISIS में शामिल हुआ था केरल का ईसाई इंजीनियर... अब मारा गया लीबिया में

आतंकी दल ISIS का कहना है कि वो पहला भारतीय ‘Istishhadi’ (आत्मघाती हमलावर या आतंकियों की भाषा में ‘शहीद’) है, जो अफ्रीका में लड़ते हुए मारा गया

Abhay Pratap
  • Jun 7 2021 1:23PM

 दुनिया भर में मजहब के नाम पर निर्दोषों की जान लेने वाले, असहाय लोगों का लहू बहाने वाले दुर्दांत इस्लामिक आतंकी संगठन ISIS ने अपने मारे गए आतंकियों (जिन्हें वह शहीद कहते हैं) की एक सूची जारी है. आतंकी दल ISIS द्वारा जारी की गई इस सूची में केरल के एक आतंकी का भी नाम है जो ईसाई था लेकिन मुसलमान बनकर ISIS में शामिल हो गया था. ISIS का दावा है कि केरल का उक्त ईसाई से मुस्लिम बना इंजीनियर लीबिया में लड़ते हुए ‘शहीद’ हुआ है. ISIS ने ‘Know your martyrs (अपने शहीदों को जानो)’ नाम का एक दस्तावेज जारी किया है, जिसमें केरल के अबू-बकर अल-हिन्दी का नाम है.

जानकारी के मुताबिक़, मारा गया ये आतंकी केरल का ही एक ईसाई इंजीनियर था, जिसने बाद में इस्लाम मजहब अपना लिया था और फिर आतंकी संगठन ISIS में शामिल हो गया था. उसने खाड़ी मुल्कों में काम करते समय ऐसा किया था. आतंकी दल ISIS का कहना है कि वो पहला भारतीय ‘Istishhadi’ (आत्मघाती हमलावर या आतंकियों की भाषा में ‘शहीद’) है, जो अफ्रीका में लड़ते हुए मारा गया. हालाँकि, इसमें अबू-बकर का असली नाम नहीं बताया गया है.

ISIS ने सिर्फ इतना बताया कि ‘शहीद’ मलयाली का जन्म एक अमीर ईसाई परिवार में हुआ था, जिसमें कई इंजीनियर मिलते हैं. ISIS ने बताया है कि अबू-बकर खाड़ी में काम करने से पहले बेंगलुरु में काम कर रहा था. आतंकी संगठन के अनुसार, ये पहली बार था जब वो ‘पूर्ण मुस्लिम वातावरण’ में आया. जब वो बाजार में कुछ चीजें खरीदने गया था, तब उसे किसी ने एक पैम्पलेट दिया. उस पैम्पलेट में ईसाई मत को लेकर कुछ चीजें लिखी हुई थीं.

ISIS के अनुसार, तब ईसाई रहा अबू-बकर ये जान कर आश्चर्यचकित था कि मुस्लिम लोग भी जीसस का न सिर्फ सम्मान करते हैं, बल्कि उनमें आस्था भी रखते हैं. इसके बाद उसके भीतर इस्लाम को लेकर और जानने की इच्छा बलवती हुई. फिर वो कुछ मुस्लिमों के संपर्क में आया. अमेरिकी इस्लामी वक्ता अल-अवलाकी के भाषणों को सुन कर वो कट्टर बना और इसके बाद उसने IS का रुख किया. अबू-बकर IS में शामिल होने वाले अन्य मलयालियों की तरफ ‘हिज्रा’ (देश छोड़ना) चाहता था, लेकिन खाड़ी देश की कंपनी के साथ करार ख़त्म होने के बाद उसे भारत वापस आना पड़ा.

इसके बाद आकाओं ने उसे लीबिया जाने को कहा, जहाँ हमारे संगठन का काम मजबूत होता जा रहा था.  लीबिया जाने के 3 महीने बाद ही एक ‘ऑपरेशन’ के दौरान उसकी मौत की बात बताई गई है. आपको बता दें कि इससे पहले अफगामिस्तान तथा सीरिया में ISIS के ऐसे कई आतंकी मारे जा चुके हैं जो मूल रूप से भारत के केरल से तालुक रखते थे.

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