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भारत ने ठुकराया पाकिस्तान का करतारपुर साहिब गलियारा खोलने का प्रस्ताव

भारत ने पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. पाकिस्तान ने 29 जून से इसे खोलने की पेशकश की थी.

Abhishek Lohia
  • Jun 28 2020 7:24AM
भारत ने पाकिस्तान के करतारपुर साहिब गलियारे को खोलने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. पाकिस्तान ने 29 जून से इसे खोलने की पेशकश की थी. भारत ने कहा कि कोरोना वायरस के मद्देनजर इस गलियारे को अस्थाई रूप से बंद किया गया है. इसके अलावा, सरकार ने कहा कि भारत को यात्रा करने वालों का ब्यौरा पाकिस्तान को एक सप्ताह पहले देनी होता है. ऐसे में मौजूदा स्थिति गड़बड़ा सकती है. इससे सिर्फ द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन होगा. भारत सरकार स्वास्थ प्राधिकरणों और संबंधित लोगों से बात करके ही आगे का फैसला लेगी.

इससे पहले पाकिस्तान ने कहा था कि वह सिख श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर साहिब गलियारा 29 जून से खोल देगा. यह जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को ट्वीट कर दी. उन्होंने कहा कि 29 जून को महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि है. पाक इस दिन से गलियारा खोलना चाहता है. दरअसल, पाकिस्तान ने भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए 16 मार्च को करतारपुर साहिब गलियारा बंद करने फैसला लिया था. पहले इसे 31 मार्च तक बंद किया गया था. लेकिन बाद में पाक ने अनिश्चितकाल के लिए इसे बंद रखने का फैसला लिया.

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा, "दुनिया भर के धार्मिक स्थल धीरे-धीरे खुल रहे हैं. पाकिसान ने भी सिख श्रद्धालुओं के करतारपुर साहिब कॉरिडोर खोलने की तैयारी कर ली है." पाकिस्तान ने भारत से इसे फिर शुरू करने लिए प्रक्रियाओं में हाथ बंटाने के लिए आमंत्रित किया है.

पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल पुराना है. मान्यता है कि 1522 में सिखों के पहले गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी. उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे.

लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है. गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है. भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था.

करतारपुर कॉरिडोर की नींव 2018 में रखी गई थी. भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को शिलान्यास किया गया था. इसके बाद गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था.

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