विदेश की राष्ट्रविरोधी ताकतों और विशेषकर चीन की छत्रछाया में पलने वाले वामपंथियों के उग्र विरोध को उस समय बड़ा झटका लगा जब उन्होंने अपनी हरकतें दिखाकर राष्ट्रवादियों को एकजुट कर दिया।
दिल्ली की सीमाओं पर भीड़ जमा कर उसे किसान आंदोलन का नाम देने वाले वामपंथी तत्वों ने किसी को अगर सबसे ज्यादा बदनाम किया तो वह थे भारत के उद्योगपति। एक बार भी किसी विदेशी कंपनी का वहां विरोध नहीं हुआ।
विरोध की इस आंधी में अगर किसी में सबसे ज्यादा तपिश झेली तो वह थे रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी। हालात तो यहां तक बने कि कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित पंजाब में पुलिस के सामने ही रिलायंस जिओ के टावर भी उखाड़ दिए गए और व्यापक तोड़फोड़ की गई।
राष्ट्रवादी खामोशी से इस कृत्य को देखते हैं और उन्होंने इसका सकारात्मक जवाब देने की ठान रखी थी । आखिरकार राष्ट्रवादियों का जवाब वामपंथियों पर भारी पड़ा है और भारत के उद्योगपतियों के लिए दुनिया भर से आई है एक बड़ी खुशखबरी..
मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस रिटेल लिमिटेड को 2021 में दुनिया की दूसरी सबसे तेज ग्रोथ करने वाली कंपनी का दर्जा हासिल हुआ है। यह जानकारी विश्व की खुदरा विक्रेता कंपनियों की डेलायट की रिपोर्ट से सामाने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में रिलायंस रिटेल पिछले वर्ष शीर्ष पर थी, लेकिन अब दूसरे नम्बर पर आ गई है।
डेलायट की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक ‘ग्लोबल पावर्स ऑफ रिटेलिंग की सूची में रिलायंस रिटेल नम्बर 53वां रहा है, जबकि इससे पहले कंपनी 56वें नम्बर पर थी। इस प्रकार कंपनी ने इस साल अपनी स्थिति में तीन अंकों का सुधार किया है।
गौरतलब है कि रिलायंस रिटेल तेजी से ग्रोथ करने के मामले में पिछले वर्ष दुनिया में शीर्ष स्थान पर रही थी।
रिपोर्ट के मुताबिक खुदरा विक्रेताओं की इस सूची में अमेरिका की वालमार्ट इंक शीर्ष पर रही है। कंपनी ने दुनिया के शीर्ष खुदरा विक्रेता के तौर पर अपनी स्थिति को कायम रखा है। वहीं, अमेजन डॉट काम इंक ने भी अपनी स्थिति में सुधार लाते हुए दूसरा स्थान हासिल किया है। इसी तरह अमेरिका का कोस्टको व्होलसेल कापोर्रेशन एक पायदान नीचे खिसककर तीसरे स्थान, जबकि जर्मनी की स्वार्ज ग्रुप का चौथा स्थान रहा है। क्रोगर कंपनी को 5वां स्थान मिला है।
डेलायट के मुताबिक खुदरा विक्रेता कंपनियों में शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में स्थान पाने वालों में एक ब्रिटेन की और अमेरिका की सात कंपनियां शामिल हैं। सूची के मुताबिक ब्रिटेन की टेस्को पीएलसी 10वें स्थान पर रही है।
उल्लेखनीय है कि ताकतवर वैश्विक खुदरा विक्रेता कंपनियों की 250 कंपनियों की सूची में जगह पाने वाली रिलायंस रिटेल एक मात्र भारतीय कंपनी है। ग्लोबल पावर्स ऑफ रिटेलिंग और वर्ल्ड्स फास्टेस्ट रिटेलर्स में लगातार चौथी बार रिलायंस का नाम आया है।
इतनी बड़ी हार के बाद अभी हम माना जा रहा है कि वामपंथी कुछ समय के लिए खामोश जरूर होंगे लेकिन भारत के उद्योगपतियों, भारत की सेना व भारत के धर्मनिष्ठों के विरुद्ध उनके द्वारा लगातार चलाया जा रहा कु - प्रचार और साजिश स्थाई रूप से बंद होगी इसको कहना मुश्किल है।
यहां सवाल यह भी किया जा रहा है कि दिल्ली की सीमाओं को घेरकर पंजाब में तोड़फोड़ करने जैसी साजिशें फेल होने के बाद अब यह वामपंथी किस नए रूप में देश और दुनिया के सामने आने वाले हैं भारत को अंदर ही अंदर खोखला करने के अपने कुत्सित प्रयासों की पूर्ति के लिए ?
फिलहाल रिलायंस इंडस्ट्री को मिली इस सफलता से न सिर्फ अंबानी परिवार खुश है बल्कि स्वदेशी उद्योगपतियो के समर्थक राष्ट्रवादी भी प्रफुल्लित हैं.. बड़ा सवाल ये है कि वामपंथियों का साजिश रूपी अगला कदम क्या ?