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खुद का नाम "अंगद" बताता था UP पुलिस द्वारा ढेर किया गया मुख़्तार अंसारी का गुर्गा "अमजद".. पाप अमजद करता रहा और बदनाम होते रहे हिन्दुओं के आराध्य

भगवान श्रीराम के परम भक्त के नाम का दुरूपयोग क्यों करता था अमजद ?

Rahul Pandey
  • Mar 9 2021 1:34PM

ये नाम बदलना आज की नहीं बल्कि बहुत पुरानी साजिश का एक बड़ा हिस्सा है.. अभी कुछ समय पहले पवित्र चित्रकूट में पुलिस द्वारा मार गिराए गये एक दुर्दांत डाकू की भी लगभग इसी से मिलती जुलती कहानी थी. वो डाकू असल में मुस्लिम था लेकिन इलाके में अपना खौफ शंकरवा नाम से बना रहा था.

लेकिन साजिश और बात यहीं भर खत्म नही होती. अजमल कसाब ने भी हाथ में कलावा बाँध रखा था मुंबई में अभूतपूर्व नरसंहार करने से पहले. इसी के साथ बरेली में भी एक मुस्लिम अपराधी हिन्दुओ का नाम रख कर अपराध करता पाया गया था.. लगभग उन्ही सब से मिलता जुलता मामला फिर से आया है प्रकाश में..

ज्ञात हो कि मार्च प्रथम सप्ताह में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फ़ोर्स STF ने प्रयागराज में २ दुर्दांत अपराधियों को मार गिराया था जो काफी लम्बे समय से एक डिप्टी जेलर त्यागी जी की हत्या कर के फरार चल रहे थे.. कहीं न कहीं सफेदपोश संरक्षण जरूर था इन्हें जिसका मुखिया कुख्यात मुख़्तार अंसारी को माना जा रहा है.

इसमें से एक अपराधी का नाम अमजद था लेकिन वो अपराध जगत में खुद को अंगद के नाम से चर्चित किये हुए था.. कुछ वामपंथी छोड़ कर बाकी लगभग सभी हिन्दुओं में अंगद भगवान् श्रीराम के सबसे परम भक्तों में से एक अनंत काल से गिने जा रहे हैं और अनंत काल तक गिने जायेगे और रामायण युद्ध में प्रभु श्रीराम की अर्थात धर्म की जय में एक बड़ा योगदान दिया था.

ऐसे में एक महान धर्म योद्धा का नाम एक अधर्मी द्वारा दुरूपयोग करना, सनातनियो के प्रमुख आराध्यो में से एक का नाम एक उस अपराधी द्वारा रखना जो सनातन और हिन्दू को मानता ही न हो.. आखिर क्या अपराधी अमजद के अपराध के साथ किसी और भी तरफ इशारा कर रहे हैं ? 

सवाल ये है कि अपराधी अंगद के निशाने पर क्या सिर्फ वही हुआ करते थे जिनकी वो सुपारी लेता था या कहीं न कहीं अपने कृत्यों से वो हिन्दू समाज को और उनके गौरवशाली महान पूर्वजो को बदनाम भी करने की किसी जिहादी साजिश को अंजाम दे रहा था. फिलहाल अमजद की मौत ने पीछे कई सवाल छोड़ दिए हैं. 

अपनी मौत अर्थात मुठभेड़ के दिन तड़के सुबह प्रयागराज के अरैल तटबंध मार्ग पर वाहन चेकिंग चल रही थी। उसी दौरान फास्ट व्हीकल मानी जाने वाली बाइक अपाचे से पहुंचे दो बदमाश पुलिस द्वारा रोकने पर भागने लगे। शक के आधार पर जब पुलिस ने जब उन्हें दौड़ाया तब वह पुलिस पर ही गोली बरसाने लगे..

पुलिस ने उनको पूरा मौक़ा दिया लेकिन वो सरेंडर के बजाय अपनी गोलीबारी जारी रखे हुए थे.. आखिरकार मजबूर हो कर पुलिस की जवाबी फायरिंग में भदोही जिले के गोपीगंज निवासी साथी के साथ भदोही के ही गोपीगंज  खुर्द गांव निवासी अमजद उर्फ अंगद उर्फ पिंटू पुत्र हफीजुल्लाह गोली लगने से ढेर हो गया। 

यहाँ ये ध्यान रखने योग्य जरूर है कि दुर्दांत अपराधी अमजद पर डेढ़ दर्जन मुकदमे दर्ज थे जिसकी मौत ने लोगों को बड़ी राहत दी है.. पर अभी सवाल ये जरूर खड़ा हो रहा है कि क्या हिन्दू नाम रख कर सत्य सनातन को बदनाम कर रहे अभी अन्य भी कई अमजद हैं जो अभी सामने आने बाकी हैं ?

बड़ा सवाल ये भी है कि आये दिन हिन्दू और हिंदुत्व से जुड़े कामो को बहुत बारीकी से देख कर उसमे कमी निकलने वाला वामपंथी वर्ग ऐसी घटनाओं पर चुप्पी क्यों साध लेता है.. अमजद जैसे अपराधियों के जीवित रहते हुए वही वामपंथी वर्ग उनसे सवाल क्यों नही करता उनकी साजिश या सोच के बारे में ?

फिलहाल उत्तर प्रदेश पुलिस ने साहस और शौर्य दिखाते हुए अभी एक अमजद को कम किया है..अभी अंगद बने ऐसे कई अमजद हैं जिनको उनके असली अंजाम तक पहुचाने के लिए पुलिस को जनता का समर्थन मिलना अतिअवाश्य्क और अपरिहार्य है.

 

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