कई कथा वाचकों के द्वारा व्यासपीठ पर बैठकर कई तरह के उद्बोधन दिए जाने से देश भर के धर्मावलंबियों में नाराजगी है। धर्माचार्य इन कथित संतों की वाणी से शुद्ध हैं और कह रहे हैं कि ऐसे कथा वाचक व्यास पीठ पर बैठने के अधिकारी नहीं है। सुदर्शन न्यूज़ की मुहिम को देश के अलग-अलग राज्यों में समर्थन मिल रहा है। छत्तीसगढ़ में भी साधु संतों ने इस कथा जिहाद और धर्म शुद्धि महाभियान पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
रायपुर के भागवताचार्य पंडित युगल शर्मा ने सुदर्शन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी के अभियान पर अपना समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि वास्तव में धर्म केवल "सनातन" ही है। समय-समय में लोकरीति, परंपराएं,मान्यताएं, धारणाएं, पद्धति इत्यादि उसके साथ जुड़ती गई और साथ ही साथ समूह भी जुड़ते गया, जो समयांतराल में इतना विशाल हो गया कि मूल ही लोग भूलने लगे और आज ऐसा ही हो रहा है।
सुदर्शन से बातचीत में उन्होंने कहा कि जिस सनातन धर्म ने सम्पूर्ण मानव समाज को जीवन का अर्थ, उद्देश्य तथा मुक्ति का मार्ग बताया, आज वही सनातनी व्यास पीठ जैसे पवित्र और सम्माननीय स्थान में बैठकर सनातन वैदिक सिद्धान्त का प्रतिपादन करने के स्थान पर क्षुद्र लोकेषणा प्राप्त करने हेतु अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। ऐसा करने वाले चाहें, जो हों वे व्यासपीठ में बैठने के अधिकारी नहीं हैं। वास्तव में आज ऐसे लोगों के छँटनी की आवश्यकता है, ताकि हमारा धर्म मूल और शुद्ध रूप से समाज को प्रकाशित कर सके।
रायपुर के कथावाचक अजयशरण देवाचार्य ने कहा कि
सत्य और शाश्वत है। जो लोग आजकल तथा कथित कथावाचक सर्व धर्म की बात करते हैं, शायद उन्हें जानकारी नहीं है या और भी कोई कारणवश मजहब पंथ इन सबको को भी वो धर्म मान लिए हैं। जबकि सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जो संसार के हर प्राणी को सत्य का परिचय कराता है। फिर भी कुछ कथावाचक उस व्यास पीठ पर बैठकर कोई भागवत बंद करके अल्लाह को प्रणाम करने की शिक्षा दे रहे, तो कुछ मौला अली गा रहे हैं, जबकि उन कथावाचकों को ये नहीं पता कि राम और कृष्ण की भक्ति शरणागति और अनन्यता से प्राप्त होती है।