बीसीसीआई (BCCI) अध्यक्ष सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) और सचिव जय शाह (Jay Shah) के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए बोर्ड सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पिछले साल अक्टूबर में पदभार संभालने वाले गांगुली का जुलाई और शाह का जून में कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके बाद दोनों को तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना होगा. दरअसल प्रशासकों की समिति के बनाए नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई में लगातार छह साल तक पद पर बना रहता है तो उसे तीन साल के लिए कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मंजूरी दी थी.
गांगुली बंगाल क्रिकेट बोर्ड में 5 साल 3 महीने तक पद पर रहे थे, जबकि जय शाह भी गुजरात क्रिकेट संघ में सचिव रह चुके हैं. बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया कि बीसीसीआई ने पिछले साल 1 दिसंबर को हुई एजीएम में कूलिंग ऑफ पीरियड में जाने के नियम में संशोधन कर अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाने की स्वीकृति दे दी थी.
बीसीसीआई में लगातार छह साल काम करने पर नियम लागू
बोर्ड के संशोधन के मुताबिक गांगुली और शाह पर कूलिंग ऑफ पीरियड पर जाने का नियम उस समय लागू होगा, जब उन्हें बीसीसीआई में लगातार छह साल हो जाए. दायर याचिका में कहा गया है कि संविधान उन लोगों ने तैयार किया था, जिनके पास तीन लेयर संरचना के कामकाज का अनुभव नहीं था. न तो उन्हें क्रिकेट प्रशासन का अनुभव था. बीसीसीआई ने कहा कि अगर अनुभवी लोगों को प्रशासन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से दूर किया जाता है तो इसका नुकसान क्रिकेट को भुगतना पड़ सकता है. साथ ही यह भी तर्क दिया गया है कि बीसीसीआई एक ऑटोनॉमस बॉडी है. इसके पास प्रशासनिक अधिकार होता है और इसी के तहत वह अपने संविधान में बदलाव कर सकता है.