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8 नवंबर: अर्थव्यवस्था को फिर से राह पर लाने के लिए 2016 में आज ही बंद हुए थे 500 और 1000 के नोट

आज का दिन भारत वालों के लिए विशेष है क्योकि वर्ष 2016 में आज ही के दिन भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और उसको निर्वाध चलाने के लिए एक बहुत बड़ा फैसला लिया गया था.

Sumant Kashyap
  • Nov 8 2024 8:04AM

आज का दिन भारत वालों के लिए विशेष है क्योकि वर्ष 2016 में आज ही के दिन भारत की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने और उसको निर्वाध चलाने के लिए एक बहुत बड़ा फैसला लिया गया था, जिसमे 500 और 1 हजार के नोटों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक घोषणा के बाद बंद माना गया था और इसके बाद भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर में मोदी की कड़े निर्णय लेने में न हिचकने वाले एक दृढशक्ति नेता के रूप छवि बन गई थी.

भारत की अर्थव्यवस्था इस से पहले नकली नोटों के चलते बुरी तरह से प्रभावित हो रही थी. हालात यहां तक बिगड़े थे कि रिजर्व बैंक तक के अन्दर नकली नोट मिले थे, ATM आदि से नकली नोट निकलना तो आम बात हो गई थी. सबसे ज्यादा परेशानी 500 और 1 हजार के नोटों के साथ थी जिसमें आम जनता खुद को ठगी जैसी महसूस करती थी.

इतना ही नहीं, भारत की अपनी नोट बनाने के लिए विदेशो का सहारा लिया जाता था. इन सब में धनकुबेरों का ही फायदा हुआ करता था. इतने बड़े निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जो टीम थी वो इतने विश्वस्त लोगों की थी कि किसी को कानो कान खबर भी नही हुई और जैसे ही सरकार ने इस निर्णय की घोषणा की वैसे ही देश भर में हलचल मच गई. 

लोग बैंको की तरफ भागने लगे और देश में तमाम निगाहें उस तरफ उठ खड़ी हुई जिनको लोग काले धन का मसीहा मानते थे. गरीब जनता के लिए ये सब शुरुआत में भले ही अजीब अनुभव रहा हो लेकिन उसका जीवन सप्ताह भर के ही अन्दर सामान्य हो गया. इसी के बाद देश भर में छापेमारी हुई और उसमे कई बड़े काले धन के संग्राहक पकड़े गये थे.

विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम की खुली आलोचना की थी और चुनावों तक इसको मोदी सरकार के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में प्रस्तुत करना चाहा परन्तु एक बार फिर से नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत और भाजपा की सरकार बनने के बाद में माना जाने लगा कि जनता मोदी सरकार के इस फैसले के साथ थी और जनता को ये कदम राष्ट्रहित में लगा था.

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