दिल्ली के भाजपा सांसदों ने उपराज्यपाल महोदय से राजधानी की 351 से ज्यादा सड़कों को मिक्स्डलैंड और कमर्शियल सड़कों के रूप में शीघ्र नोटिफाई कराए जाने का आग्रह किया है। इसके अलावा 69 तथाकथित एफ्लुएंट कॉलोनियों को मालिकाना अधिकार और किसानों को अधिग्रहित भूमि के बदले वैकल्पिक प्लॉट देने की नीति को पुनः लागू करने की भी मांग की है।
भाजपा के सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल गुरुवार को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना सें मिला और इन मांगों के संबंध में चर्चा की। भाजपा सांसदों ने कहा कि काफी समय से इन समस्याओं को हल नहीं किया जा सका। उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने इस संबंध में शीघ्र ही कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधिमंडल में रामवीर सिंह बिधूड़ी, कमलजीत सहरावत, योगेंद्र चंदोलिया, प्रवीण खंडेलवाल और सुश्री बांसुरी स्वराज शामिल थे।
दक्षिण दिल्ली से सांसद बिधूड़ी ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने उपराज्यपाल महोदय को कई समस्याओं की जानकारी दी। दिल्ली नगर निगम द्वारा 2007 में 351 सड़कों को मिक्स लैंड और कमर्शियल लैंड यूज के रूप में प्रयोग का प्रस्ताव पास करके दिल्ली सरकार को भेजा था लेकिन दिल्ली सरकार ने उन्हें अब तक नोटिफाई नहीं किया। इसके अलावा दिल्ली में जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है, उसके बदले उन्हें वैकल्पिक आवासीय प्लॉट दिए जाने की योजना आम आदमी पार्टी सरकार ने रोक दी है। ऐसे 16 हजार आवेदन अभी लंबित पड़े हैं।
जिन किसानों की मृत्यु हो गई है उनके उत्तराधिकारियों के नाम पर म्युटेशन नहीं किया जा रहा, जिससे उन्हें कानूनी उत्तराधिकार नहीं मिल पा रहा। दिल्ली की 69 एफ्लुएंट कॉलोनियों को मालिकाना अधिकार नहीं दिए गए हैं जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी ही भावना व्यक्त की है। बिजली का कनेक्शन मांगने पर गांवों और अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को प्राइवेट बिजली कंपनियां डीडीए का एनओसी लाने के नाम पर परेशान कर रही हैं। बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी की यह शर्त हटाई जाए। सांसदों ने सुझाव दिया कि दिल्ली को सीलिंग और तोड़फोड़ से राहत दिलाने के लिए कट ऑफ डेट के साथ एक एमनेस्टी स्कीम लाई जाए ताकि जायज शुल्क लेकर उनकी दुकानों को नियमित किया जा सके।
शहरी क्षेत्र, सदर पहाड़गंज और करोल बाग क्षेत्रों में स्थित नजूल संपत्तियों का भी मालिकाना हक वर्तमान आवासी को प्रदान किया जाए। यह भी अनुरोध किया गया कि 20 सूत्री कार्यक्रम के अंतर्गत भूमिहीनों को मकान बनाने और कृषि के लिए जो जमीन दी गई थी, उसका उन्हें मालिकाना हक दिया जाए।