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पूर्वोदय का सपना होगा पूरा... गृह मंत्री अमित शाह बोले- "PM मोदी ने पूर्वोत्तर और दिल्ली के दिलों जोड़ा"

NLFT-ATTF और केंद्र-त्रिपुरा सरकार के बीच शांति समझौते पर लगी मुहर।

Ravi Rohan
  • Sep 4 2024 9:08PM
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में आज यानी बुधवार को नई दिल्ली में केंद्र सरकार, त्रिपुरा सरकार, NLFT और ATTF के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता पीएम मोदी के शांतिपूर्ण, समृद्ध और उग्रवाद मुक्त पूर्वोत्तर बनाने के दृष्टिकोण में एक मील का पत्थर है। कार्यक्रम में बताया गया कि, मोदी सरकार में अपना विश्वास व्यक्त करते हुए, NLFT और ATTF ने त्रिपुरा में 35 साल से चल रहे संघर्ष को समाप्त कर दिया है और राज्य के विकास के लिए खुद को प्रतिबद्ध किया है।

मोदी सरकार द्वारा पूर्वोत्तर में किए गए 12 समझौतों के कारण 10,000 उग्रवादी हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। इस समझौते के तहत 250 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को मंजूरी दी गई है। NLFT और ATTF के प्रतिनिधियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने, अपने सभी हथियार और गोला-बारूद सौंपने और अपने सशस्त्र संगठनों को भंग करने पर सहमति जताई है।

त्रिपुरा में शांति और प्रगति की चल रही प्रक्रिया को गति देते हुए भारत सरकार ने आज यानी बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में त्रिपुरा सरकार, नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा और ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर बोलते हुए शाह ने कहा कि, "समझौते पर हस्ताक्षर होने से त्रिपुरा में पिछले 35 वर्षों से चल रहा संघर्ष समाप्त हो गया है। इसने आंदोलन में शामिल लोगों की मुख्यधारा में वापसी का मार्ग भी प्रशस्त किया है और त्रिपुरा के विकास के लिए उनकी प्रतिबद्धता की अभिव्यक्ति भी हुई है।"

उन्होंने कहा, "PM मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री बनते ही शांति और संवाद के माध्यम से एक सक्षम और विकसित पूर्वोत्तर का विचार सामने रखा। पूर्वोत्तर के लोगों और दिल्ली के लोगों के बीच मतभेद की खाई थी। PM मोदी न केवल रेल, सड़क और हवाई संपर्क के माध्यम से बल्कि दिलों को जोड़कर इस अंतर को पाटा। आज हम पूर्वोदय के सपने को पूरा करने और क्षेत्र को अष्टलक्ष्मी बनाने की यात्रा में एक मील का पत्थर स्थापित करने में सक्षम हुए हैं।"

शाह ने यह भी कहा कि, आज हस्ताक्षरित समझौता पूर्वोत्तर में अपनी तरह का 12वां समझौता है। यह त्रिपुरा से संबंधित तीसरा समझौता है। उन्होंने कहा, "अब तक लगभग 10,000 उग्रवादियों ने हथियार डाल दिए हैं। दशकों से चली आ रही इस हिंसा में दोनों तरफ के हजारों हमारे भाईयों ने अपनी जान गंवाई है। वे नागरिक थे, सुरक्षा बलों के जवान थे या हमारे लोग थे जो संघर्ष में थे। इन 12 समझौतों ने इस हिंसा को समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।"

शाह ने कहा कि NLFT और ATTF के आत्मसमर्पण से 328 से अधिक कैडर मुख्यधारा में लौट आएंगे; वे अपने परिवारों के साथ रह सकेंगे, भारतीय होने का गौरव प्राप्त कर सकेंगे और विकसित त्रिपुरा में योगदान दे सकेंगे। श्री शाह ने यह भी कहा, "भारत सरकार ने क्षेत्रों के विकास का निर्णय लिया है और उग्रवाद के कारणों को समाप्त करने के लिए हार्दिक और संवेदनशील प्रयास करेगी। हमने त्रिपुरा के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी है। इससे त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में विकास की कमी की शिकायतें खत्म होंगी।

शाह ने कहा, “चाहे बोडो समझौता हो, ब्रू-रियांग समझौता हो या कोई और समझौता, हमने हर एक को लागू किया है। यह हमारा इतिहास है, जहां हमने कभी किसी समझौते को कागज के टुकड़े के रूप में नहीं देखा, बल्कि हमने इसे भावनाओं की अभिव्यक्ति के रूप में देखा है।”

उन्होंने कहा, “आज, हमारे हजारों ब्रू-रियांग भाई अच्छे घरों में रह रहे हैं, उनके बच्चे स्कूल जा रहे हैं, अपने-अपने धर्मों का पालन कर रहे हैं, आजीविका कमा रहे हैं और भारत सरकार की सभी 300 योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। मैं NLFT और ATTF के अपने दोस्तों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम समझौते को अक्षरशः लागू करेंगे और आपकी आकांक्षाओं को पूरा करेंगे।” 

शाह ने विस्तार से कहा, "मैं त्रिपुरा में अशांति को कम करने में उनकी भूमिका के लिए त्रिपुरा के राजासाहेब को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। हम सभी अब एक समृद्ध त्रिपुरा के निर्माण की ओर बढ़ेंगे। हमने शांति की यात्रा की शुरुआत 2019 में NLFT (S) के साथ समझौते के साथ त्रिपुरा से की थी। दूसरा समझौता भी त्रिपुरा से ही जुड़ा था, जिसे ब्रू-रियांग समझौते के नाम से जाना गया। फिर बोडो समझौते पर हस्ताक्षर हुए। 2021 में कार्बी समझौता हुआ। 2022 में असम के लिए आदिवासी शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। उसी साल असम-मेघालय अंतरराज्यीय समझौता हुआ। 2023 में असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा संधि पर हस्ताक्षर हुए। उसी साल DNLA शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। उसी साल UNLF शांति संधि और उल्फा के साथ समझौते पर हस्ताक्षर हुए।"

उन्होंने कहा कि, "2024 के विधानसभा चुनाव के बाद यह पहला समझौता है। पूरे त्रिपुरा से AFSPA को हटा दिया गया है, पूर्वोत्तर में इसका दायरा कम कर दिया गया है और इसकी जगह विकास, खासकर जनजातियों के विकास को शामिल किया गया है। हम पूर्वोत्तर के विकास के साथ-साथ वहां की संस्कृतियों, पहचानों और भाषाओं की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं आप सभी को मोदी सरकार और गृह मंत्रालय पर विश्वास के साथ 35 साल पुराने इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए धन्यवाद देता हूं।"

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