इनपुट- गोविंद वर्मा, लखनऊ
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया को आसान करने के लिए लर्निंग लाइसेंस के आवेदन को पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया, जिसके चलते आवेदक केवल अपना आधार और आवश्यक दस्तावेजों को अपलोड करने के बाद टेस्ट देते हैं और टेस्ट में पास होने के बाद तुरंत उनको लर्निंग लाइसेंस इश्यू हो जाता है ।
जिसका वह प्रिंट आउट ले सकते हैं और यह लर्निंग 6 महीने तक वैध रहता है। आवेदकों को आरटीओ विभाग के अनावश्यक चक्कर न काटने पड़े और उनके समय को भी बचाया जा सके, इसके लिए इस प्रक्रिया को सरल बनाया गया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि सुविधापूर्ण बनाई गई इस प्रक्रिया पर भी दलालों के नेक्सेस ने सेंध लगाना शुरू कर दिया है। आवेदक के आधार कार्ड को अपलोड करने के बाद कोई दूसरा व्यक्ति आवेदक की जगह टेस्ट देता है और इस ऐप के माध्यम से आधार में लगी तस्वीर और उस दूसरे व्यक्ति का चेहरा मैच कर लिया जाता है।
मतलब साफ है कि अगर कोई व्यक्ति जीवित नहीं है और उस व्यक्ति का आधार कार्ड मोबाइल नंबर आपके पास है तो आप इन दलालों के माध्यम से भी उस मृतक व्यक्ति का भी लर्निंग लाइसेंस आसानी से बनवा सकते हैं । सुदर्शन न्यूज़ ने रियल्टी चेक के लिए एक 70 वर्षीय महिला जिनका देहांत लगभग 6 महीने पूर्व हो गया है बावजूद इसके किसी माध्यम से उनका भी लर्निंग लाइसेंस बनवा लिया है। मतलब साफ है कि जिस प्रक्रिया को आवेदकों की सुविधा के लिए शुरू किया गया था उस पर भी दलालों ने सेंध लगाकर पूरी तरह से विभाग को चुनौती दे डाली है।