झारखंड में डेमोग्राफी परिवर्तन पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. बीजेपी,कांग्रेस,और सत्ताधारी जेएमएम के बीच बदलती डेमोग्राफी को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. बीजेपी जहां झारखंड जनसांख्यकी परिवर्तन के लिए बांगलादेशी घुसपैठ को जिम्मेदार मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ जेएमएम और कांग्रेस बाहरी के बहाने झारखंड से बिहारियों को बाहर करने का षड़यंत्र बना रही है. झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन भी सदन में जमकर हंगामा हुआ. इस दौरान झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने सदन में डेमोग्राफी को लेकर बड़ा बयान दिया है, जिसके बाद से सियासी गलियारे में बवाल छिड़ गया है.
दरअसल, डेमोग्राफी और बांग्लादेशी घुसपैठ पर बोलते-बोलते हेमंत सोरेन ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद और बोकारो में जनसंख्या बढ़ने को लेकर सवालिया लहजे में इशारों ही इशारों अपनी बात कह दी. अब ऐसे में सवाल उठाने लगा है कि क्या हेमंत सोरेन बिहारियों की तुलना बांग्लादेशी घुसपैठियों से कर रहे हैं?
सदन में सीएम हेमंत सोरेन ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि ये बांग्लादेशी घुसपैठ की बात करते हैं तो बताइए रांची, धनबाद और जमशेदपुर में आबादी किसकी वजह से बढ़ी है. ये क्या बात करेंगे? हेमंत सोरेन के बयान के बाद झारखंड के सियासी गलियारे में बवाल मचना तय माना जा रहा है.वहीं उनके भाषण को लेकर भाजपा ने हेमंत सोरेन पर हमला शुरू कर दिया है. डेमोग्राफी को लेकर इशारों ही इशारों में दिए गए हेमंत सोरेन के बयान पर बीजेपी हमलावर है.
मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM जी का डेमोग्राफी ज्ञान...!
झारखंड की डेमोग्राफी बिहारियों के कारण बदल रहा हैं...
बिहारियों को झारखंड से भगाओ...झारखंड को कश्मीर बनाओ...
हेमंत जी डेमोग्राफी बाहरी लोगों से बदलता है...अपने लोगों से नहीं
बाहर से आए बांग्लादेशी घुसपैठिए और रोहिंज्ञाओं… pic.twitter.com/6zjuyYDdLv
हेमंत सोरेन के इस बयान को अब कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की के बयान से भी जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें, बीते हफ्ते ही एक पत्रकार के इस सवाल पर कि भाजपा घुसपैठियों का मुद्दा उठा रही है, शिल्पी नेहा तिर्की की चर्चा इसलिए भी हो रही थी कि इन्होंने झारखंड के गोड्डा से सांसद निशिकांद दुबे के संसद में उठाये गए बांग्लादेशी घुसपैठ के मुद्दे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया में बिहार के लोगों को घसीट लिया था.
कुल मिलाकर झारखंड में बदलती डेमोग्राफी और आदिवासियों के हित को लेकर सड़क से संसद तक माहौल गर्म है. आगामी विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को भूनाने की जमीन भी तैयार की जा रही है.अब देखना ये है कि आदिवासी अस्मिता पर छिड़ी जंग क्या परिवर्तन लाती है.