भगवान शंकर के पवित्र सावन मास की शुरुआत के पहले दिन ही सोमवार है। देश भर में श्रावण सोमवार को लेकर शिवभक्तों में उत्साह है। गंगा नदी जिन तीर्थों में बहतीं है वहाँ से लोग गंगाजल भर कर कांवर पर टांग कर मीलों की दूरी तय करते हैं। और इन्ही रास्तों में काँवरियों के विश्राम से लेकर सेवा के लिए काँवरियाँ शिविर का आयोजन किया जाता है। बिहार के सुलतानगंज से लेकर उत्तराखंड के हरिद्वार तक कांवरिया गंगाजल भरने पहुंचते हैं।
इस दौरान आस-पास के तमाम शहरों में कांवरिया शिविर लगाए जाते हैं, जहां सोमवार से पहले श्रद्धालु आ कर रुकते हैं। मगर राजधानी दिल्ली का एक इलाका ऐसा है जहां भारत जैसे हिन्दू बाहुल राष्ट्र में हिंदुओं की परंपराओं पर एक मजहब के लोगों का दबदबा बनाया जा रहा है, और वो भी खुलेआम। इंद्रलोक में लगने वाले कांवरिया शिविर को शास्त्री नगर शिफ्ट किया जा रहा है।
जिहादियों से डर गई पुलिस
दिल्ली के इंद्रलोक चौराहे के पास कांवड़ शिविर लगाने को लेकर पिछले साल की तरह इसस बार भी विवाद का माहौल बनाया जा रहा है। बीच सड़क पर नमाज़ पढ़ने वालों को सड़क के किनारे लगने वाला काँवड़ियों का शिविर रास नहीं आ रहा है। बीते साल भी स्थानीय मुसलमानों ने शिविर के नाम पर कलेश कर दिया था। इस बीच कांवड़ समिति और पुलिस आमने-सामने आ गई थी। सालों से जहां शिविर लगता था वहां पुलिस ने इलाके को संवेदनशील बताकर दूसरी जगह शिविर लगाने का आदेश जारी कर दिया था। इसका मतलब साफ था कि प्रशासन जिहादियों के आगे झुक गई थी।
भारत है या पाकिस्तान-बांग्लादेश
जिस मार्ग पर पिछले 25 वर्षों से शिविर लगा रहा हैं वहाँ इस साल भी शिविर लगाना था। मगर जैसे ये भारत की नहीं बल्कि पाकिस्तान या बांग्लादेश की जमीन है जहां एक विशेष वर्ग की मनमर्जी चलेगी और हमेशा की तरह हिन्दू कॉम्परोमाइज़ कर के कहीं ओर एडजस्टमेंट कर ले। इनकी मर्जी चेले तो रोड बंद कर के नमाज पढ़ने लगे और दूसरा कोई सड़क के किनारे अपना जरूरी काम भी न करें।
काँवड़िया शिविर को पलायन
पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देश में ही नहीं, बल्कि हिन्दुस्थान के भी कुछ इलाकों जहां का माहौल किसी पाकिस्तान से कम नहीं है, वहाँ से भी हिंदुओं के पलायन करने की बात सुनी ही होगी। कुछ ऐसी ही घटना दिल्ली में हो रही है, जहां हिंदुओं के काँवड़िया शिविर को पलायन करना पड़ रहा है। मुख्य वजह बस इतनी है कि प्रशासन को किसी की एकजुटता का खौफ है। मामला इंद्रलोक का है जहँ काँवड़िया शिविर लग्न था। सावन का पहला सोमवार बीत गया मगर शिविर लगने नहीं दिया गया। इंद्रलोक के सुलेमान प्रधान ने खुल का सुदर्शन टीवी के माइक पर कहा कि, "हम शिविर लगने नहीं देंगे।" कहा जाता है की, इंद्रलोक से हिंदुओं का कोई कंवर शिविर भी नहीं निकलता है। इस दर से की कहीं इलाके का माहौल न खराब हो जाए।
ये कैसी खुन्नस?
सुलेमान ने कहा की "हिंदुओं ने हमारी नमाज़ सड़कों पर नहीं होने दी तो हम भी हम भी शिविर लगाने नहीं देंगे। चाहे कुछ भी हो जाए इंद्रलोक में सड़क पर शिविर नहीं लगेगा।" बात दें कि, सड़क पर बांस पद हुआ है, सोमवार का दिन निकाल गया, मगर सूनी पड़ी शिविर वाली जगह से काँवड़ियों को मायूस हो कर आगे बढ़ना पड़ा। सुलेमान ने कहा कि, "कानून सबके लिए बराबर होता है, साल में बस हम दो नमाज़ पढ़ते हैं, उसकी इजाजत नहीं मिली तो हम कैसे याहन किसी और को कुछ करने देंगे?"